शामली। उत्तर प्रदेश शासन के नए आदेश में पांच हजार रुपये स्टांप में दान संपत्ति हस्तांतरित होने से जिले में वसीयतनामा करने के मामलों में कमी आएगी। इस शासनादेश के लागू होने से संपत्ति बंटवारे के विवाद खत्म होंगे। तीन से चार करोड़ रुपये का राजस्व का उपनिबंधक कार्यालय को नुकसान होगा।
संपत्ति नाम दर्ज कराने के लिए पहले वसीयत नामा होता था। संपति नाम दर्ज होने में विवाद बढ़ जाते थे। संपत्ति वाद के निस्तारण के लिए तहसीलदार, एसडीएम समेत अन्य दूसरे न्यायालयों में वाद वर्षों तक चलते थे। संपत्ति वसीयतनामा के लिए भूमि, मकान और निर्माण लागत के अनुरूप में ज्यादा स्टांप लगता था। संपत्ति वसीयत के विवादों के निस्तारण के लिए पांच हजार रुपये के स्टांप पर परिवार के सदस्यों जिनमें दाता अपनी अचल संपत्ति का अंतरण परिवार के सदस्य, पिता, माता, पति, पत्नी, पुत्री, दामाद, सगा भाई, सगी बहन के पक्ष में करने की व्यवस्था की गई।
18 जून को शासनादेश जारी होने के बाद शासनादेश के तहत जिले में पिछले तीन दिन में इक्का-दुक्का के दान के मामले आए हैं। शामली के उपनिबंधक अनिल मिश्रा ने बताया कि वसीयत के लिए मकान, कृषि व अन्य संपति पर कुल लागत का सात प्रतिशत स्टांप लगता था। सिर्फ 100 रुपये के स्टांप पर वसीयत होती थी। परिवार में संपत्ति के विवाद बढ़ जाते थे। उनके कार्यालय में चार पांच वसीयत प्रतिदिन होती थी। पिछले दो दिन में इकका-दुक्का पांच हजार रुपये के स्टांप फीस में दान करने के मामले आए है। वसीयत नामा खत्म करने के शासनादेश के बाद वसीयत कम होंगी। संपत्ति दान करने की संख्या बढ़ जाएगी। इस नए कानून से शामली कार्यालय को मासिक दो करोड़, कैराना और ऊन उप निबंधक कार्यालय को तीन करोड़ रुपये का नुकसान होगा।
नए शासनादेश में पांच हजार रुपये के स्टांप शुल्क में दान हस्तांतरण में भाई के बेटे (भतीजा) को दूर रखा गया है। उपनिबंधक अनिल मिश्रा के मुताबिक परिवार के भतीजे के नाम वसीयत होने से विवाद बढ़ते है। शासन के नए आदेश मे संपत्ति दान होने में भतीजे को दूर रखा गया है।