गाजियाबाद। यूक्रेन की युद्धभूमि से शुक्रवार को जिले के 14 छात्र-छात्राएं अपनी मातृभूमि पर पहुंच गए। घर पहुंचने पर परिजनों ने बच्चों को गले लगाकर खुशी के आंसू बहाए। किसी ने आरती उतारी तो किसी ने अपने बच्चे की नजर उतारी। बच्चों की चिंता डूबे परिजनों की आंखों में खुशी चमक उठी। वहीं, अभी भी 20 परिवार अपनों की चिंता में डूबे हैं, उन्हें अभी अपने बच्चों का इंतजार है। निगाहें दरवाजे पर और कान मोबाइल की घंटी पर लगे हैं। अभी तक कुल 29 छात्र छात्राएं घर आ चुके हैं। वहीं, सकुशल वतन वापसी पर छात्रों के परिजनों ने सरकार का आभार जताया है।
बृहस्पतिवार रात बारह बजे के बाद सुबह छह बजे के बीच में हिंडन पर तीन वायुसेना के विमान छात्रों को लेकर पहुंचे। उत्तर प्रदेश के अलग अलग जिलों के 68 छात्र छात्राएं पहुंचे। इनमें गाजियाबाद की दो छात्राएं शामिल रहीं।
शुक्रवार को घर पहुंचने वालों में भव्य त्यागी, डूंडाहेड़ा, प्रीत मल्होत्रा, राजनगर एक्सटेंशन, दीपशिखा, वसुंधरा सेक्टर तीन, मनहल, शालीमार गार्डन, जैश्मीन कौर वैशाली, शाहनवाज कैला भट्टा, कासिम, अरसलान इमरान, मोहम्मद अहमद, मोईन नाजिम मसूरी, शादाब धौलाना, सुहैल सिकरोड, जलालुद्दीन, नईमुद्दीन निवासी मसूरी शामिल रहे।
अपनों का साथ पाकर भव्य और प्रीत के निकले खुशी के आंसू
यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे डूंडाहेड़ा के भव्य त्यागी और राजनगनर एक्सटेंशन की प्रीत मल्होत्रा शुक्रवार सुबह घर पहुंचे। दोनों के माता पिता ने बच्चों को गले लगाकर भगवान का शुक्रिया अदा किया। अपनों को अपने बीच देखकर खुशी से आंखें छलक गईं। मां ने बेटे की नजर उतारी और भगवान का शुक्रिया अदा किया, सरकार का आभार जताया। भव्य को एयरपोर्ट लेने उनके दादा भी पहुंचे। पोते को सही सलामत देखकर उनके चेहरे पर चमक आ गई।
बॉर्डर पर फंसे रहे 55 घंटे, लगा कि नहीं पहुंच पाएंगे घर
भव्य ने बताया कि रोमानिया बॉर्डर पर जब बर्फीली ठंड में 55 घंटे तक फंसे रहे और दूतावास से संपर्क नहीं हो पा रहा था तो उस वक्त लगा था कि पता नहीं अपने घर पहुंच पाएंगे या नहीं। रोमानिया आने के बाद इंतजाम काफी अच्छा था। एयरपोर्ट पर भारत का वीजा देखकर सिर्फ स्टांप लगाकर हमें भेजते रहे कोई और कागज आदि की मांग नहीं की गई। भव्य रोमानिया से पहले मुंबई आए उसके बाद दिल्ली की फ्लाइट से सुबह पहुंचे हैं। भव्य के पिता चंद्रशेखर त्यागी ने बताया कि रात में भव्य का मेसेज आया कि वह मुंबई पहुंच गया उसके बाद खुशी के मारे नींद ही नहीं आई।
राजनगर एक्सटेंशन की रहने वाली प्रीत मल्होत्रा यूक्रेन में मेडिकल थर्ड ईयर की पढ़ाई कर रही हैं। घर पहुंचने पर प्रीत ने बताया कि वह जिस क्षेत्र में रह रहीं थी वहां युद्ध का अधिक प्रभाव नहीं दिख रहा था। बस रोमानिया बॉर्डर पर समस्या आई थी। पिता विजय थरेजा ने बताया कि जिस वक्त प्रीत वहां फंसी हुई थी तो हमारे लिए वह समय काफी कष्टकारी था। हम अपने आप को असहाय महसूस कर रहे थे।