नई दिल्ली। धार्मिक ग्रंथों में 16 संस्कारों का वर्णन किया गया है और कहा गया है कि जीवन में इन 16 संस्कारों को जरूर अपनाना चाहिए. इसमें 10 वां उपनयन संस्कार जनेऊ धारण करना है. शास्त्रों के अनुसार श्रावण पूर्णिमा या रक्षाबंधन के दिन ब्राह्मण पुराने जनेऊ का त्याग कर नया जनेऊ धारण करते हैं. इस काम के लिए ये दिन बहुत शुभ माना जाता है.

इस बार श्रावण पूर्णिमा और रक्षाबंधन 11 अगस्त के दिन पड़ रहा है. रक्षाबंधन का पर्व सावन की पूर्णिमा के दिन ही मनाया जाता है. इस दिन स्नान-दान और पूजा आदि का विशेष महत्व होता है. जहां रक्षाबंधन का प्रव भाी बहनों के लिए बेहद खास होता है. वहीं, ब्राह्मण लोगों के लिए ये दिन सावन पूर्णिमा की वजह से खास हो जाता है क्योंकि इस दिन नया जनेऊ धारण करने की परंपरा है. आइए जानते हैं सावन माह में ही क्यों धारण किया जाता है नया जनेऊ और इसके फायदे.

हिंदू धर्म में 16 संस्कारों की बात की गई हैं. इसमें मुंडन, विवाह आदि शामिल है. इसी में एक संस्कार जनेऊ धारण का भी है. एक ही सूत का पवित्र धागा होता है, जिसे कंधे के ऊपर और दाईं भुजा के नीचे धारण किया जाता है. शास्त्रों के अनुसार जनेऊ के एक धागे में तीन-तीन तार होते हैं और कुल तारों की संख्या 9 होती है.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अगर व्यक्ति को पूरे साल में जनेऊ बदलने की जरूरत होती है, तो उन्हें सावन पूर्णिमा के दिन ही करना चाहिए. इस दिन स्नान आदि करने के बाद नया जनेऊ धारण करने की परंपरा है. इस दिन मन,वचन और कर्म की पवित्रता का संकल्प लेकर जनेऊ धारण किया जाता है.

जनेऊ पहनने के फायदे
– धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जनेऊ धारण करने से व्यक्ति को बुरे सपने आने बंद हो जाते हैं.

– जनेऊ धारण करने वाला व्यक्ति सफाई के नियमों से बंधा होता है. कहते हैं कि इसकी पवित्रता बनाए रखने के लिए इसे कान पर लपेटते हैं, तो दिमाग की नसें एक्टिव हो जाती हैं. याददाश्त तेज होती है.

– टायलेट आदि जाते समय जनेऊ की पवित्रता को बनाए रखने के लिए इसे खींच कर कान पर लगा लिया जाता है.

– इसके साथ ही, ऐसा भी कहा जाता है कि इसे पहनने से व्यक्ति के पास बुरी शक्तियां नहीं आती. व्यक्ति का मन भी बुरे कामों में नहीं लगता.