मथुरा. मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि केस में वीडियो और फोटोग्राफी होगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को चार महीने के अंदर सर्वे कराकर रिपोर्ट पेश करने का आदेश जारी किया है। इसके मुताबिक, शाही ईदगाह मस्जिद की भी वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी होगी।
कोर्ट के इस आदेश के बाद एक बार फिर से श्रीकृष्ण जन्मभूमि का मुद्दा गर्म हो गया है। लोग इस पूरे विवाद की जड़ जानने की कोशिश कर रहे हैं। हर कोई जानना चाहता है कि आखिर श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद का विवाद क्या है? कब और कैसे विवाद शुरू हुआ? हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष के दावे क्या-क्या हैं? आइए जानते हैं…
मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर विवाद है। 13.37 एकड़ भूमि के स्वामित्व की मांग को लेकर मथुरा कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका में पूरी जमीन लेने और श्री कृष्ण जन्मभूमि के बराबर में बनी शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता ने विवादित स्थल की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कराने की भी मांग की थी। निचली अदालत में ये मामला लंबित है। लगातार देरी होने के चलते याचिकाकर्ता मनीष यादव ने हाईकोर्ट का रूख किया। मनीष ने हाईकोर्ट में भी यही मांग की। इसके बाद कोर्ट ने निचली अदालत से आख्या मांगी थी।
इसी मामले में हाईकोर्ट में आज सुनवाई हुई। कोर्ट ने यहां वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी सर्वे कराने का आदेश दिया है। चार महीने में ये सर्वे पूरा करना होगा। इसकी रिपोर्ट हाईकोर्ट में जमा करनी होगी। इसके लिए एक वरिष्ठ अधिवक्ता को इस सर्वे के लिए कमिश्वर और दो अधिवक्ताओं को सहायक कमिश्नर के तौर पर नियुक्त किया जाएगा। इस सर्वे कमीशन में वादी और प्रतिवादी के साथ-साथ प्रशासनिक अफसर भी शामिल होंगे।
शाही ईदगाह मस्जिद मथुरा शहर में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर परिसर से सटी हुई है। 12 अक्तूबर 1968 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान ने शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट के साथ एक समझौता किया। समझौते में 13.37 एकड़ जमीन पर मंदिर और मस्जिद दोनों के बने रहने की बात है।
पूरा विवाद इसी 13.37 एकड़ जमीन को लेकर है। इस जमीन में से 10.9 एकड़ जमीन श्रीकृष्ण जन्मस्थान और 2.5 एकड़ जमीन शाही ईदगाह मस्जिद के पास है। इस समझौते में मुस्लिम पक्ष ने मंदिर के लिए अपने कब्जे की कुछ जगह छोड़ी और मुस्लिम पक्ष को बदले में पास में ही कुछ जगह दी गई थी। अब हिन्दू पक्ष पूरी 13.37 एकड़ जमीन पर कब्जे की मांग कर रहा है।
ऐसा कहा जाता है कि औरंगजेब ने श्रीकृष्ण जन्म स्थली पर बने प्राचीन केशवनाथ मंदिर को नष्ट करके उसी जगह 1669-70 में शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण कराया था। 1770 में गोवर्धन में मुगलों और मराठाओं में जंग हुई। इसमें मराठा जीते। जीत के बाद मराठाओं ने फिर से मंदिर का निर्माण कराया। 1935 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 13.37 एकड़ की भूमि बनारस के राजा कृष्ण दास को आवंटित कर दी। 1951 में श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने ये भूमि अधिग्रहीत कर ली।