नई दिल्ली. जानबूझ कर यदि किसी की हत्या की जाए यानी किसी को अकाल मृत्यु दे दी जाए फिर वह चाहे एबॉर्शन ही क्यों न हो, यह भयंकर पितृ दोष बनाने वाली गलती होती है. इसका दुष्परिणाम आने वाली पीढ़ियां भोगती हैं. ऐसी गलती से परिवार विघटित हो जाते हैं और संकट थमने का नाम नहीं लेता है.

पितृदोष से निवारण और पितरों को प्रसन्न करने के केवल दो ही उपाय हैं पहला श्राद्ध और दूसरा तर्पण. श्राद्ध यानी श्रद्धा और तर्पण माने तृप्त करना. इस बार पितृपक्ष 11 सितंबर से शुरु हो रहा है. इन 15 दिनों को अपने पितरों को प्रसन्न करने के लिए प्लान करना होगा. जिनकी कुंडली में पितृ दोष नहीं है तो भी वह अपने पितरों को श्रद्धा के साथ तृप्त करें ताकि उनकी कीर्ति काया सदैव आपके भाग्य के दरवाजे खोलती जाए.

पितृपक्ष के 15 दिनों तक नियमित रूप से किसी गरीब को भोजन कराने की व्यवस्था करानी चाहिए. यह कार्य घर पर न हो सके तो लंच पैकेट बनाकर देना चाहिए. अनाथालय में गरीब बच्चों के लिए आर्थिक रूप से मदद करनी चाहिए. बच्चों को भोजन, वस्त्र, पुस्तकें आदि भी दान दी जा सकती है.

यदि आपके घर में कौवे आते हैं तो समझ लीजिए कि आप बहुत सौभाग्यशाली हैं क्योंकि आज कल कौवे दिखाई ही कम देते हैं. कौवों के लिए नियमित रूप से खाना पानी की व्यवस्था करें. यदि छत हो तो वहां पर यह व्यवस्था करें नहीं तो बालकनी और यह भी न हो सके तो बाहर किसी पार्क आदि में रखें ताकि कौआ व पक्षी आकर खाएं. एक बात और ध्यान रखिए कि भोजन का एक समय सुनिश्चित कर लें क्योंकि पक्षी उसी समय प्रतीक्षा करते हैं और उनको प्रतीक्षा कराना यानी पितरों को इंतजार कराना है. पितरों को प्रसन्न करने के लिए कुत्तों और गाय के लिए भी नियमित रूप से भोजन निकालना चाहिए. यदि वह न खाएं तो उनसे मन ही मन में प्रार्थना करनी चाहिए कि पितर हमें क्षमा करें, आप हमारा भोजन ग्रहण करें.

पितरों की याद में दीर्घायु होने वाले वृक्ष लगाएं जैसे अशोक, बरगद, पीपल, नीम आदि. घर में पितरों की जो फोटो हो, उनको फ्रेम कराकर ताजे पुष्पों की माला नित्य पहनानी चाहिए, यह सिलसिला पितृ पक्ष तक अखंडित रखें. शिव मंदिर की साफ-सफाई करनी चाहिए. यदि किसी मंदिर का जीर्णोद्धार हो रहा हो तो वहां पर गुप्त दान करें.

परम्परागत रूप से श्राद्ध और तर्पण करते हैं तो उसे अवश्य करते रहिए. भोजन से पहले अपने हिस्से की पहली रोटी में एक चौथाई रोटी निकालें और इसे चिड़िया, पक्षी अथवा गाय को खिलाएं. पितरों के लिए नियमित घर में दीपक, धूप आदि जलाएं. अमावस्या को पितरों के नाम से धूप, दीप आदि करें और गरीब व्यक्ति को यथा योग्य भोजन कराएं. हर अमावस्या को गाय को पांच फल खिलाएं और रोज प्रातः पूजा के समय ऊं पितराय नमः का कम से कम 21 बार जाप करें.