नई दिल्ली। हर साल हिंदू धर्म में श्राद्ध पक्ष मनाया जाता है। श्राद्ध पक्ष में मृत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए अलग-अलग उपाय किए जाते हैं। इस दौरान शुभ कार्य वर्जित होते हैं। वहीं आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में गजलक्ष्मी व्रत रखा जाता है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार हर वर्ष महालक्ष्मी व्रत भादो मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। यह व्रत 16 दिनों तक चलता है। 16वें दिन यानी आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को गज लक्ष्मी व्रत के रूप में मनाया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी हाथी पर विराजमान होती है। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। आइए जानते हैं कि गजलक्ष्मी की पूजा का क्या महत्व है।
हिंदू धर्म में मां लक्ष्मी को धन और समृद्धि के लिए पूजा जाता है। माता लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी हैं। माना जाता है कि सच्ची श्रद्धा और मन से अगर माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं तो वह रंक को भी राजा बना देती हैं। गजलक्ष्मी व्रत के दौरान सोना खरीदना बहुत ही शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन खरीदा गया सोना आठ गुना बढ़ जाता है। इस बार 17 सितंबर को गजलक्ष्मी व्रत पड़ रहा है। इसे गजलक्ष्मी व्रत के अलावा महालक्ष्मी व्रत भी कहा जाता है। कई जगहों पर लक्ष्मीपर्व 16 दिनों का भी मनाया जाता है। 16 दिन परिवार के लोग मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करके 17वें दिन उद्यापन करता है।
गजलक्ष्मी व्रत में मां लक्ष्मी की विधि विधान से पूजा की जाती है। इस व्रत में रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन व्रत रखने वाले जातक अन्न ग्रहण नहीं करते हैं। इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। साथ ही उनका आशीर्वाद भी परिवार पर बना रहता है। महालक्ष्मी व्रत रखने से धन, धान्य, सुख, समृद्धि, संतान आदि की प्राप्ति होती है। इसके बाद महालक्ष्मी व्रत का उद्यापन किया जाता है।