नई दिल्ली. हिंदू धर्म में दिवाली का त्यौहार बेहद महत्व रखता है. इसे हिंदुओं का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है. दिवाली महापर्व की शुरुआत धनतेरस से होती है और इसका अगला दिन रुप चौदस (छोटी दिवाली) का होता है. बड़ी दिवाली यानी लक्ष्मी पूजा इस छोटी दिवाली के अगले दिन होती है. इस बार बड़ी दिवाली 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी. वहीं दूसरी ओर इस बार लोगों में छोटी दिवाली और बड़ी दिवाली अलग-अलग मनाने या एक ही दिन होने को लेकर असमंजस बना हुआ है और इसे लेकर पंचांग भी अलग-अलग बातें कह रहे हैं. आइए जानते हैं इसे लेकर पंडित क्या कहते हैं.
दिवाली महापर्व की शुरुआत इस बार 22 अक्टूबर को धनतेरस के दिन से होगी. छोटी दिवाली और बड़ी दिवाली इस बार एक ही दिन रहेगी या अलग-अलग इसे लेकर इंदौर के रहने वाले पंडित नवीन उपाध्याय कहते हैं कि एक पंचांग को छोड़कर बाकी सभी पंचांग धनतेरस को 22 अक्टूबर को बता रहे हैं, ऐसे में छोटी दिवाली और बड़ी दिवाली अलग-अलग दिन ही मनाई जाना उचित है.
दिवाली को लेकर लोगों में जमकर उत्साह रहता है. दिवाली महापर्व के हर दिन विशेष तैयारियां की जाती हैं. ऐसे में कौन सा दिन किस तारीख को पड़ेगा, इसे लेकर पंडितों की राय काफी महत्वपूर्ण होती है. पंडित नवीन उपाध्याय के अनुसार नीमच के पंचाग निर्णय सागर में ही धनतेरस 23 अक्टूबर को होना बताया गया है. इसके अलावा अन्य पंचांग में धनतेरस 22 अक्टूबर को ही बताई गई है, इससे उनकी राय में रुप चौदस यानी छोटी दिवाली 23 अक्टूबर और बड़ी दिवाली 24 अक्टूबर को अलग-अलग दिन मनाई जाएगी.
दिवाली की पूजा मुहूर्त में करने का विशेष महत्व माना जाता है. पंडित शक्ति जोशी के अनुसार दिवाली के दिन भगवान गणेश ,मां लक्ष्मी और कुबेर देवता की पूजा की जाती है. इस दौरान विधि-पूर्वक पूजन करने से धन-वैभव बना रहता है.