नई दिल्ली. इस संसार में जीवन लेने वाले हर जीव की मृत्यु निश्चित है. मृत्यु के बाद मनुष्य के कर्म तय करते हैं कि उसको स्वर्ग की प्राप्ति होगी या फिर नर्क भोगना होगा. जन्म के बाद मनुष्य के साथ जीवन में कई अच्छी और बुरी घटनाएं होती हैं. अच्छी घटनाओं के लिए मनुष्य अपनी किस्मत की सराहना करता है, तो बुरी घटनाओं के लिए वह अपने भाग्य को कोसता है. अब ऐसे में सवाल मन में आता है कि भाग्य का लेखा-जोखा मनुष्य के जन्म के पहले से ही तय होता है या उसके जन्म के बाद निर्धारित होता है. तो चलिए जानते हैं मनुष्य के भाग्य से जुड़ी ये प्रमुख बातें.

पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि आचार्य चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्रों में जीवन के संकटों से उबरने के लिए सैकड़ों नीतियों का वर्णन किया है. आचार्य चाणक्य ने बताया है कि किसी भी मनुष्य के भाग्य की 5 चीजे मां के गर्भ में ही तय हो जाती है, जिसे कोई भी बदल नहीं सकता. आचार्य चाणक्य ने इसे एक श्लोक के द्वारा समझाया है. आयुः कर्म च विद्या च वित्तं निधनमेव च. पञ्चैतानि विलिख्यन्ते गर्भस्थस्यैव देहिनः.

आचार्य चाणक्य कहते हैं किसी भी जीव की आयु, कर्म, धन-संपत्ति, विद्या और मौत, ये पांच चीजें उसके भाग्य में उसी समय लिख दी जाती हैं, जब वो अपनी मां के गर्भ में होता है. इन चीजों में जीवनभर कोई बदलाव नहीं आता. जिसकी जितनी उम्र होगी वो उतना ही जीता है.

आचार्य चाणक्य बताते हैं कि मनुष्य को अपने जीवन में धर्म के मार्ग पर चलकर ज्ञान और धन कमाना चाहिए, जिससे समाज में उस व्यक्ति की प्रतिष्ठा बनी रहे. आचार्य चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्रों में एक श्लोक के द्वारा इस बात को समझाया है. धर्मार्थकाममोक्षेषु यस्यैकोऽपि न विद्यते. जन्म-जन्मनि मत्र्येषु मरणं तस्य केवलम्. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मनुष्य को अपने जन्म के बाद धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष यह 4 चीजे प्राप्त कर लेनी चाहिए. धर्म के कार्य करते हुए व्यक्ति को धन संपदा प्राप्त करनी चाहिए. उसके बाद विवाह कर अपना गृहस्थ जीवन शुरू करना चाहिए और अंत में मोक्ष की प्राप्ति के लिए भगवान की स्तुति और अच्छे कार्य करने चाहिए. इस प्रकार किसी भी मनुष्य के भाग्य का लेख उसके जन्म के पहले से ही तय हो जाता है.