जालौर। जवाई बांध के पानी पर जालोर जिले का हक तय कर ऊपर का पानी नदी में छोड़ने सहित कई मांगों को लेकर जालोर के किसानों ने जिला मुख्यालय पर विशाल धरना प्रदर्शन शुरु कर दिया है. जवाई नदी किनारे बसे 186 गांवों के सेंकड़ों किसान ट्रेक्टर लेकर जिला मुख्यालय पर पहुंचे है. बड़ी संख्या में महिलाएं भी धरना स्थल पर पहुंची है. आहोर चौराहे से लेकर हॉस्पिटल चौराहे तक पूरी सड़क ट्रैक्टरों से जाम हो गई है. वहीं पूरे जिले से जितने भी किसान धरना स्थल पर पहुंच रहे हैं, उनके खाने-पीने की व्यवस्था भी की गई है. किसान अपने साथ खाना बनाने के लिए सामग्री, अनाज और खाना पकाने के लिए लकड़ियां भी लेकर पहुंचे हैं.

पिछले दिनों 27 अक्टूबर 2022 को किसानों ने जवाई बांध के पानी पर जालोर का हक तय करने और जवाई नदी में पानी छोड़ने की मांग को लेकर जिला मुख्यालय पर धरना शुरू किया था, उसके बाद 29 अक्टूबर को 21 किसानों आमरण अनशन शुरू किया था उसके बाद सरकार ने जवाई पुनर्भरण के लिए 2554 करोड़ की वित्तीय स्वीकृति मंजूर की थी. दिसंबर में इसका टेंडर होना था और मौजूदा प्लान के अनुसार काम चलता तो जनवरी में निर्माण कार्य शुरू हो जाता, लेकिन अभी तक जल संसाधन विभाग द्वारा टेंडर भी जारी नहीं किया गया है. किसानों का कहना है कि जनवरी में जवाई पुनर्भरण के लिए काम शुरु होना था लेकिन अभी तक टेंडर भी जारी नहीं हुआ है. वहीं जवाई बांध के पानी पर जालोर का हक तय करने पर सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है, इसलिए फिर से किसानों से धरना शुरू किया है.

-किसान जवाई बांध की पुनर्भरण योजना का काम शुरू करवा के जवाई नदी में भी पर्याप्त पानी छोड़ने,
-जवाई बांध के पानी का एक तिहाई हिस्सा जवाई नदी के प्राकृतिक बहाव के लिए निर्धारित करने,
-राजस्थान सरकार की जल नीति 2010 को लागू करने,
-1966 में बनी माही परियोजना को धरातल पर लाकर गुजरात से राजस्थान के हिस्से का पानी दिलवा कर किसानों को सिंचाई का पानी देने,
-नर्मदा नहर परियोजना का विस्तार कर इस परियोजना के तहत राजस्थान के हिस्से का पूरा पानी दिलाने,
-100 मीटर नहर बनाकर लूणी नदी को जवाई नदी से जोड़ने, माही नदी ओवरफ्लो पानी जालोर जिले को देने,
-लूणी, जवाई, सुकड़ी (जालोर), यमुना और साबरमती नदी को आपस में जोड़ने,
-इन्दिरा गांधी नहर की लम्बाई बढ़ाकर जालोर जिले को पानी देने
-अरंडी के बीमा क्लेम के निर्धारित नार्मस में संशोधन करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं.

किसानों की मांग है कि यदि जवाई बांध का पानी नदी में छोड़ा जाए तो कुओं का जलस्तर बढ़ सकता है. जवाई-सुकड़ी नदी किनारे पावटा, आहोर, जालोर, सायला, बागोड़ा तहसील के 186 गांव बसे हुए हैं. इन गांवों का क्षेत्रफल 3 लाख 233 हेक्टेयर है और कृषि योग्य क्षेत्र 2 लाख 70 हजार 585 हेक्टेयर है. नदियों के प्राकृतिक बहाव बंद होने से केवल 5 फीसदी क्षेत्र ही सिंचित हो रहा है, जबकि बाकी क्षेत्र बंजर हो चुका है. इन क्षेत्रों में किसानों के कुल 16 हजार 327 कुएं और 168 ट्यूबवेल हैं.

1957 में बांध बनकर तैयार हुआ था तब से करीब 65 वर्षों से जालोर को जवाई का पानी नहीं मिल रहा. सरकार भी जवाई का पानी पर जालोर हक तय नहीं कर पाई है. अगर बांध की फाटक खोली जाती है, या बांध ओवरफ्लो होता है तभी पानी जालोर में आता है. जवाई नदी उदयपुर से निकलकर पाली, सिरोही, जालोर जिले में होते हुए सांचौर के पास रणखार तक चलती है.

जवाई बांध पूरा भर जाने पर पाली जिले में पाली शहर समेत शहर कस्बों एवं जिले के 540 गांवों में पेयजल आपूर्ति के लिए पानी दिया जाता है. इसके अलावा पाली जिले के जैतारण क्षेत्र के गांवों को भी जवाई बांध पेयजल योजना से जोड़ा गया है. इन गांवों में भी जवाई बांध से पेयजल आपूर्ति की जाती है.