नई दिल्ली। होली के पहले पड़ने वाली एकादशी को रंगभरी एकादशी और आमलकी एकादशी के नाम से जानते हैं. रंगभरी एकादशी के दिन भगवान श्रीहरि विष्णु के साथ भगवान शंकर-पार्वती की पूजा का विशेष महत्व है. इस बार रंगभरी एकादशी पर 3 मार्च को है. इस दिन शोभन, सौभाग्य और सर्वार्थ सिद्धि जैसे बेहद योग बन रहे हैं. धार्मिक मान्यता अनुसार इस शुभ योग में किया गया पूजा पाठ और दान कई गुना अधिक लाभदायक होता है. आइए जानते हैं इस दिन का महत्व और इस दिन होने वाले पूजा उपायों के बारे में…

फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी 03 मार्च को है. इस बार एकादशी तिथि पर सौभाग्य, शोभन और सर्वार्थ सिद्धि जैसे महायोग बन रहे हैं. इसलिए इस बार रंगभरी एकादशी का महत्व बढ़ गया है. इस दिन से काशी में होली के पर्व की शुरुआत हो जाती है. वहीं इस दिन आंवला दान और भगवान विष्णु-लक्ष्मी के अलावा शिव-पार्वती की पूजा का महत्व है.

इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती को अबीर-गुलाल लगाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि आज के दिन ही भगवान शंकर मां पार्वती के साथ गौना कराकर काशी में आए थे, इस खुशी में काशी वासी अबीर-गुलाल से बाबा काशी विश्वनाथ और मां पार्वती का स्वागत किए थे. मान्यतानुसार जो भक्त इस दिन शिव-पार्वती को रंग-बिरंगे अबीर-गुलाल चढ़ाता है, उसका जीवन खुशियों से भर जाता है.

यदि आप चाहते हैं कि मां लक्ष्मी और भगवान श्रीहरि विष्णु का आशीर्वाद आप पर बना रहे तो आप रंगभरी एकादशी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा करें. इसके बाद पेड़ की 9 बार परिक्रमा करते हुए वहां बैठ जाएं. इसके बाद श्री विष्णुसहस्त्रनाम स्त्रोत का पाठ करें. साथ ही इस दिन जरुरतमंद या योग्य ब्राम्हण को आंवला का दान करें. ऐसा करने से भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है और हमारे सौभाग्य में वृद्धि होती है.

रंगभरी एकादशी के सुबह स्नान करने के बाद पीपल के पेड़ में गाय दुध और जल अर्पित करें. साथ ही पीला मिष्ठान्न और पीला पुष्प अर्पित करें. इसके बाद पेड़ की 11 बार परिक्रमा करें. साथ ही शाम के वक्त गाय के घी में 11 दीपक जलाएं. ऐसा करने से देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है और हमारी आर्थिक तंगी जैसी समस्या दूर होती है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती पर अबीर गुलाल अर्पित से भी आर्थिक तंगी से मुक्ति मिलती है.