जयपुर। राजस्थान में शुक्रवार शाम जब नवरात्रि पर मां के तीसरे स्वरूप चंद्रधंटा की पूजा कर बाहर निकले तो भक्तों की निगाह आसमान की तरफ पड़ी. लोगों ने चांद और उसके ठीक नीचे चमकीले तारे को देख दंग रह गये. लगों ने मंदिरों में मां के स्वरूप को निहारा फिर आसमान की तरफ चांद को देखा. देखते ही लोगों के मुहं से एक ही शब्द निकला बोले ये तो मां चंद्रधंटा के माथे की बिंदिया है.
आसमान इस खगोलीय घटना को लोगों ने नवरात्र और रमजान के साथ जोड़कर सोशल मीडिया पर खूब वायरल किया. लोगों ने माता चंद्रघंटा की तस्वीर के साथ शेयर करते हुए लिखा कि यह मां के माथे की बिंदिया है. किसी ने कहा भगवान भोलेनाथ के मस्तक की शोभा बढ़ाते हुए चांद है. मुस्लिम समुदाय के लोगों के रमजान के पाक महीने पर चांद का दीदार कर सेल्फी लेते नजर आये.
नवरात्रि का तीसरा दिन माता चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है. इनकी आराधना से भक्त को वीरता और निर्भयता के साथ के साथ ही विनम्र और सौम्य स्वभाव प्राप्त होता है. इनके माथे पर अर्ध चंद्र आकार का घंटा दिखता है, जिसके कारण इन्हें मां चंद्रघंटा कहा जाता है.
देवों ने महिषासुर से उद्धार दिलाने की प्रार्थना की. उनके सहमत होने पर सभी देवताओं और भगवानों ने उन्हें अस्त्र-शस्त्र दिए तो देवराज इंद्र ने अपना घंटा भेंट में दिया. घंटा स्वीकार करते ही वह देवी के मस्तक के एक तरफ अर्ध चंद्र के रूप में दिखने लगा, तभी से देवी का नाम चंद्रघंटा हो गया. स्वर्ण के समान चमकीला रंग होने के साथ ही माता के तीन नेत्र और दस हाथ हैं. इनके हाथों में कमल गदा, धनुष-बाण, त्रिशूल, खड्ग, खप्पर, चक्र आदि अस्त्र-शस्त्र हैं.