पिथौरागढ़. इस साल मौसम का मिजाज पूरी तरह बदला है. मौसम में आया ये बदलाव हिमालय में मौजूद ग्लेशियरों के लिए भी काफी खतरनाक साबित हो रहा है. हालात ये हैं कि उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने की घटनाओं में आए दिन इजाफा हो रहा है. यही नही एवलांच का सामना भी यहां के लोगों को करना पड़ रहा है. इस सीजन में मौसम में जैसी तब्दीली देखने को मिली है, ऐसा बहुत कम दिखने को मिला है.
सर्दियों में इस बार बारिश और बर्फबारी नहीं के बराबर हुई थी लेकिन अप्रैल और मई में मौसम का मिजाज पूरी तरह बदला नजर आया. हालात तो यहां तक जा पहुंचे हैं कि पारा सामान्य से 10 डिग्री तक नीचे जा गिरा. मौसम की ये तब्दीली ग्लेशियरों के लिए खतरा बन रही है. बीते दिनों हुई भारी बर्फबारी के बाद हिमालयी इलाकों में लगातार ग्लेशियर टूट रहे हैं. यही नही ऊंचे इलाकों में एवलांच भी आ रहे हैं. जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान के निदेशक डा0 सुनील नौटियाल का कहना है कि हिमालय में बड़े ग्लेशियर टूटना और छोटे ग्लेशियरों की संख्या में इजाफा होना काफी खतरनाक है. इससे जहां केदार जैसी त्रासदी हो सकती है, वहीं हिमालय में बड़े बदलाव आ सकते हैं.
हालात ये हैं कि हिमालयी बेल्ट में बड़े ग्लेशियर टूटने से कई छोटे ग्लेशियर वजूद में आ गए हैं. अकेले पिथौरागढ़ और रूद्धप्रयाग में हफ्ते भर के भीतर ग्लेशियर टूटने की 5 से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं. रूद्धप्रयाग में ग्लेशियर टूटने से चार धाम यात्रा भी प्रभावित हो रही हैं जबकि पिथौरागढ़ की दारमा और मिलम घाटी में ग्लेशियर टूटने से रास्ते पूरी तरह बंद रहे. यही नहीं गुंजी के करीब नेपाल के छांगरू में भारी ग्लेशियर टूटने से 5 लोगों की मौत भी हो गई है. ग्लेशियरों पर पड़ रहे इफेक्ट की अब जीबी पंत हिमालयी पर्यावरण संस्थान बड़ी रिसर्च करने जा रहा है. इस रिसर्च में आईआईटी के साथ इसरो और देश की कई जाने-माने विश्वविद्यालय शामिल होंगे.
जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान के सीनियर साइनटिस्ट किरीट कुमार ने बताया कि रिसर्च होने के बाद स्थिति साफ होगी, लेकिन जब बड़े पैमाने पर रिसर्च की जरूरत महसूस हो रही है तो तय है कि ग्लेशियरों की स्थिति में बड़ा बदलाव आया है. 3 साल की लम्बी जद्दोजहद के बाद ही ये साफ हो पाएगा कि आखिर हिमालयी ग्लेशियर पर कितना प्रभाव मौसम चक्र बदलने का पड़ चुका है लेकिन जो हालात जमीन पर दिखाई दे रहे हैं, उससे भी ये साफ जाहिर हो रहा है हिमालय बेल्ट में खतरे की घंटी बज रही है.