बिजनौर। जिले की चीनी मिलों का गन्ना सर्वेक्षण शनिवार तक पूरा हो जाएगा। सर्वेक्षण के मुताबिक जिले की सभी चीनी मिलों का गन्ना रकबा ढाई हजार हेक्टेयर से अधिक तक कम होने की संभावना है। थानाभवन चीनी मिल क्षेत्र का गन्ना रकबा अंबाला-शामली और दिल्ली-देहरादून ग्रीन फील्ड इकोनामिक कॉरिडोर में और शामली मिल क्षेत्र का गन्ना रकबा हाईवे और बाईपास के चारों ओर आवासीय काॅलोनी विकसित होने से कम होगा।
प्रदेश के गन्ना विभाग ने बीस अप्रैल से लेकर बीस जून तक जिले की सभी चीनी मिलों और गन्ना विभाग की टीम गठित करके गन्ना क्षेत्रफल का सर्वेक्षण करने के निर्देश दिए थे। शामली, थानाभवन, ऊन चीनी मिल और गन्ना विभाग की संयुक्त की टीम ने खेतों में जाकर गन्ना सर्वेक्षण किया। शामली चीनी मिल क्षेत्र में पिछले एक साल में हाईवे और बाईपास की जद में आवासीय काॅलोनी विकसित होने से गन्ने का क्षेत्रफल कम हुआ है। थानाभवन मिल क्षेत्र में अंबाला-शामली और दिल्ली-देहरादून इकोनाॅमिक एक्सप्रेसवे में भूमि जाने से गन्ना रकबा कम हुुआ है। शामली मिल के एजीएम दीपक राणा ने बताया कि शामली चीनी मिल का बीस हजार हेक्टेयर गन्ना रकबे में से 18 हजार हेक्टेयर का सर्वेक्षण हो पाया है। गन्ना सर्वे शनिवार को पूरा हो जाएगा। गन्ना सर्वेक्षण में रकबा डेढ़ से दो हजार हेक्टेयर कम होने की संभावना है। थानाभवन चीनी मिल के गन्ना महाप्रबंधक लेखपाल सिंह ने बताया कि थानाभवन चीनी मिल क्षेत्र में 24,500 हेक्टेयर गन्ना रकबा था। गन्ना सर्वेक्षण मिल क्षेत्र के 141 गावों में 24 हजार हेक्टेयर गन्ना की फसल का सर्वेक्षण हो पाया है। यहां 500 हेक्टेयर गन्ने का रकबा कम होने की संभावना है। इसी प्रकार ऊन चीनी मिल क्षेत्र के 146 गांवों में 23,800 हेक्टेयर में से 23,600 हेक्टेयर गन्ना रकबे का सर्वेक्षण हो पाया है। करीब 200 हेक्टेयर रकबा घटने की संभावना है। डीसीओ विजय बहादुर सिंह ने बताया कि जिले की चीनी मिलों का गन्ना सर्वेक्षण शनिवार तक पूरा हो जाएगा। इसके बाद गन्ना सर्वेक्षण करने के बाद डाटा फीडिंग करके शासन काे भेजा जाएगा।
शहर के चारों ओर हाईवे और बाईपास का निर्माण चल रहा है। हाईवे और बाईपास के आसपास 20 से ज्यादा कॉलोनी विकसित हो रही हैं। ये सभी कॉलोनी कृषि भूमि में ही विकसित की जा रही हैं। इसके चलते शामली चीनी मिल का गन्ना रकबा सबसे अधिक घटा है।