हिंदू धर्म में होने वाले धार्मिक पूजा-पाठ और अनुष्ठान के दौरान अक्सर आपने पंडित जी द्वारा कलावा बांधते देखा होगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कलावा वह सूती धागा होता है जिसे बांधने से व्यक्ति को अनेक तरह की समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है और उसकी कई सारी परेशानियों से रक्षा भी होती है. कलावे को मौली और रक्षा सूत्र के नाम से भी जाना जाता है. कलावे से जुड़े कई ऐसे नियम है जिन्हें हर हिंदू धर्म को मानने वाले व्यक्ति को जानना चाहिए. 0भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा बता रहे हैं कलावे का महत्व, उसे बांधने और उतारने का सही तरीका. इसके अलावा जानेंगे उतरे हुए कलावे का क्या करना चाहिए.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूजा पाठ में बांधा जाने वाला कलवा इसलिए महत्वपूर्ण होता है क्योंकि पूजा-पाठ के दौरान उस कलावे में भगवान की पूरी कृपा और आशीर्वाद निहित होती है. कलावे में उपयोग किए जाने वाला लाल रंग सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है. जो मनुष्य के मस्तिष्क और शरीर के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है.
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार पूजा पाठ के दौरान कलावा बांधना बेहद शुभ माना गया है. पुरुषों और कुंवारी कन्याओं के दाएं हाथ में कलावा बांधा जाता है. वहीं विवाहित महिलाओं के बाएं हाथ में कलावा बांधने की परंपरा है.
धार्मिक शास्त्रों में बताया गया है कि कलावा बांधते समय एक हाथ में दक्षिणा रखना बेहद जरूरी है. वहीं अपना दूसरा हाथ सिर पर रखना चाहिए. अब हाथ में 3, 5 या 7 बार कलावा लपेटना चाहिए. हाथ में रखी दक्षिणा जिसने कलावा बांधा उसे भेंट के रूप में दे देना चाहिए.
ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि जिन जातकों ने अपने हाथ में कलावा बांध रखा है, उन्हें मंगलवार या शनिवार के दिन ही उस कलावे को खोलना चाहिए. ये कलावा पूजा घर में बैठकर ही खोलें और उसी समय दूसरा कलावा पूजा घर में बैठकर ही बांध लें. अब उतरे हुए कलावे को पीपल के पेड़ के नीचे रख दें या फिर किसी बहती नदी में प्रवाहित करना शुभ होता है.