लखनऊ. उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए अच्छी खबर है. योगी आदित्यनाथ सरकार ने 378 गांवों के लिए चकबंदी का आदेश जारी किया है. पहले चरण में 29 जिलों के 137 गांवों में चकबंदी के आदेश जारी किए गए थे और अब दूसरे चरण में 378 गांवों में चकबंदी कराने का आदेश जारी किया गया है. चकबंदी आयुक्त जीएस नवीन कुमार ने बताया है कि इसमें से चार गांवों में चकबंदी से जुड़े एक प्रस्ताव को शासन की स्वीकृति मिलने के बाद चकबंदी कराने की अधिसूचना जारी की गई है.

चकबंदी कार्यों को प्रदर्शित करने के लिए तकनीक का भी प्रयोग किया जाएगा, जैसे कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचेन, ड्रोन और रोवर सर्वे आधारित चकबंदी. इससे चकबंदी कार्य पारदर्शिता के साथ त्रुटिरहित रूप से किया जा सकेगा. इस वित्तीय वर्ष में 148 गांवों में नए चकों पर चकदारों को कब्जा दिया गया है और 24 गांवों की चकबंदी क्रिया भी पूरी की जा चुकी है.

उत्तर प्रदेश जोत चकबंदी अधिनियम 4 मार्च, 1954 को राष्ट्रपति द्वारा स्वीकृति प्राप्त की गई है. इस अधिनियम के तहत अब तक प्रथम चक्र में 1,00,059 ग्रामों और द्वितीय चक्र में 23,781 ग्रामों की चकबंदी पूरी की गई है. चकबंदी के बाद जमीनों पर कब्जा और अतिक्रमण खत्म हो जाता है और खेत का आकार बढ़ जाने से उत्पादन में सुधार होता है. इसके साथ ही, चकबंदी0 से भूमि का नियोजन भी होता है जो नाली, चकरोड और सार्वजनिक प्रयोजनों के लिए उपयुक्त होता है.

चकबंदी का मतलब होता है कि जब गांव में जमीनों का बंटवारा होता है और छोटे-छोटे टुकड़ों में खेती की जमीनें होती है, तो चकबंदी कराई जाती है. इससे गांव में जमीनों की सीमाओं से संबंधित विवाद और सरकारी भूमि पर अतिक्रमण की शिकायतें खत्म होती है. छोटे खेतों में भूमि का बर्बाद होने से बचा जा सकता है और बड़े खेतों में आधुनिक उपकरणों का उपयोग करना आसान हो जाता है. चकबंदी के बाद कृषि क्रियाकलापों की उचित देखभाल संभव होती है.

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