नई दिल्ली।  देश अपना 75वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। इस राष्ट्रीय पर्व को खास बनाने के लिए इस बार कई बदलाव किए गए। जहां गणतंत्र दिवस की थीम महिलाओं को केंद्र में रखते हुए बनाई गई तो वहीं परेड और झाकियों में भी महिला प्रतिनिधित्व रहा। इस बार के समारोह के लिए फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों मुख्य अतिथि रहे। इससे पहले 2023 में मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी हमारे मुख्य अतिथि थे।

 

यह प्रक्रिया आयोजन से करीब छह महीने पहले शुरू हो जाती है। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान विदेश मंत्रालय शामिल रहता है। किसी भी देश को निमंत्रण देने के लिए सबसे पहले यह है देखा जाता है कि भारत और संबंधित अन्य राष्ट्र के बीच मौजूदा संबंध कितने अच्छे हैं। इसका निर्णय देश के राजनीतिक, आर्थिक, सैन्य और वाणिज्यिक हितों को भी केंद्र में रख कर लिया जाता है।

पहले विदेश मंत्रालय संभावित उम्मीदवारों की एक सूची तैयार करता है और फिर इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पास भेजा जाता है। इसके बाद संबंधित मुख्य अतिथि की उपलब्धता देखी जाती है। अगर उनकी उपलब्ध हैं तो भारत आमंत्रित देश के साथ आधिकारिक संचार करता है।

26 जनवरी 1950 को भारत के पहले गणतंत्र दिवस समारोह से ही इसमें मुख्य अतिथियों को आमंत्रित करने की शुरुआत हुई थी। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो भारत के पहले गणतंत्र दिवस परेड के पहले मुख्य अतिथि थे।

इतिहास की तरफ देखें तो 1950-1970 के दशक के दौरान भारत ने गुटनिरपेक्ष आंदोलन और पूर्वी ब्लॉक से जुड़े कई देशों को अतिथि बनाया। दो बार 1968 और 1974 में ऐसा हुआ जब भारत ने एक ही गणतंत्र दिवस पर दो देशों देशों के मुख्य अतिथि को आमंत्रित किया गया।

11 जनवरी 1966 को ताशकंद में प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के निधन के कारण कोई निमंत्रण नहीं भेजा गया था। इंदिरा गांधी ने गणतंत्र दिवस से केवल दो दिन पहले यानी 24 जनवरी 1966 को शपथ ली थी।

2021 और 2022 में भी भारत में कोरोना महामारी के कारण कोई मुख्य अतिथि नहीं था।

भारत ने सबसे ज्यादा 36 एशिया एशिआई देशों को समारोह में अतिथि बनाया है। इसके बाद यूरोप के 24 देश और अफ्रीका के 12 देश गणतंत्र दिवस में हमारे मेहमान बने हैं। वहीं दक्षिण अमेरिका के पांच देश, उत्तरी अमेरिका के तीन और ओशिनिया क्षेत्र के एकलौते देश का भारत ने आतिथ्य किया है।

गणतंत्र दिवस समारोह में कई आकर्षण के केंद्र होते हैं लेकिन कूटनीतिक दृष्टि से इसमें शामिल होने वाले प्रमुख अतिथि पर भी सबकी नजरें होती हैं। भारत के गणतांत्रिक देश बनने के साथ ही इस समारोह में मुख्य अतिथि को बुलाने की परंपरा रही है। भारत प्रति वर्ष नई दिल्ली में आयोजित होने वाले गणतंत्र दिवस समारोह के लिए सम्माननीय राजकीय अतिथि के रूप में किसी अन्य देश के राष्ट्राध्यक्ष या सरकार के प्रमुख को निमंत्रण देता है।

अतिथि देश का चयन रणनीतिक, आर्थिक और राजनीतिक हितों पर सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद ही किया जाता है। यूं कहें कि गणतंत्र दिवस परेड के मुख्य अतिथि का निमंत्रण भारत और आमंत्रित व्यक्ति के देश के बीच मैत्रीपूर्ण सबंधों की मिशाल माना जाता है।

2024 के गणतंत्र दिवस समारोह के लिए भारत ने फ्रांस को अतिथि देश बनाया। यहां के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों 75वें गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि रहे। परेड में फ्रांस की 95 सदस्यीय मार्चिंग टीम और 33 सदस्यीय बैंड दल ने भी शिरकत किया। भारतीय वायु सेना के विमानों के साथ एक मल्टी रोल टैंकर ट्रांसपोर्ट (एमआरटीटी) विमान और फ्रांसीसी वायुसेना के दो राफेल लड़ाकू जेट ने भी फ्लाई-पास्ट में हिस्सा लिया।

22 दिसंबर 2023 को घोषणा की गई थी कि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि होंगे। रिपोर्टों के अनुसार, उन्हें हाल ही में न्योता मिला था क्योंकि पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को आमंत्रण देने की खबर थी लेकिन बाइडन वार्षिक स्टेट ऑफ द यूनियन कार्यक्रम के कारण नहीं आ सके। अंतिम समय के अनुरोध के बावजूद फ्रांसीसी राष्ट्रपति भारत आए जो यह दिखाता है कि फ्रांस हमारा एक सदाबहार मित्र है। यह छठी बार है जब कोई फ्रांसीसी नेता गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि हैं।

भारत और फ्रांस में दोनों स्वतंत्र, खुले, समावेशी और समृद्ध हिंद-प्रशांत के रणनीतिक दृष्टिकोण साझा करते हैं। दोनों देशों ने बहुपक्षवाद और बहुपक्षीय संस्थानों को मजबूत करने पर भी जोर दिया है।

इसके अलावा, भारत और फ्रांस के बीच हाल ही में कई उच्च स्तरीय यात्राएं हुई हैं जो यह बताता है कि दोनों एक-दूसरे को कितना महत्व देते हैं। पीएम मोदी जुलाई 2023 में फ्रांस के राष्ट्रीय दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में फ्रांस में थे। यह यात्रा भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी की 25वीं वर्षगांठ मनाने का भी एक अवसर था। इसके पहले मैक्रों सितंबर 2023 में जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए भारत आए थे।

भारत और फ्रांस परमाणु ऊर्जा, रक्षा और अंतरिक्ष सहित सभी रणनीतिक क्षेत्रों में लंबे समय से करीबी रणनीतिक साझेदार हैं। दोनों ने उद्योगों और स्टार्ट-अप में सहयोग को बढ़ावा देने के साथ ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन और शिक्षा के क्षेत्र में भागीदारी को बढ़ाया है।