बिजनौर। नगीना में आजाद समाज पार्टी (आसपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद की जीत के साथ ही दलित राजनीति के नए युग की शुरुआत हो गई है। अभी तक दलित मत बहुजन समाज पार्टी के संगठित वोट माने जाते थे। इन मतों में सेंधमारी के लिए सियासी दल लगातार हथकंडे अपनाते रहे, लेकिन छिटपुट दलित मत ही ले पाए। इस बार बसपा खाता तक नहीं खोल पाई और चंद्रशेखर ने नगीना में दमदार जीत के साथ दलित राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत कर दी है। इमरान मसूद की बंपर जीत में चंद्रशेखर की महत्वपूर्ण भूमिका मानी जा रही है।
दलित राजनीति की धुरी मायावती का उत्थान उत्तर प्रदेश से हुआ। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बिजनौर सीट ने जहां मायावती को साल 1989 में पहली बार संसद पहुंचाया था, वहीं सहारनपुर की हरौड़ा सीट ने 1996 में मायावती को मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाया था। इसके बाद धीरे-धीरे इस क्षेत्र में मायावती का राजनीतिक ग्राफ और बहुजन समाज पार्टी का जमीनी आधार बढ़ता गया। वह चार बार प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने मात्र 19 सीटें हासिल की थीं और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बसपा का प्रदर्शन 2007 के मुकाबले काफी खराब रहा।
1989 में बसपा को तीन सीट मिली थीं और 2009 में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर 21 सीट पर जीतीं थीं, लेकिन 2024 के मौजूदा लोकसभा चुनाव में बसपा शून्य पर सिमट गई। इतनी बड़ी पार्टी का जनाधार खिसकता चला गया।
चंद्रशेखर ने भीम आर्मी का गठन किया और इसके बाद मार्च 2020 में आजाद समाज पार्टी की घोषणा की। बाबा साहब के मिशन को आगे ले जाने और दलितों, वंचितों, शोषितों की आवाज बनने का भरोसा दिलाते हुए राजनीति शुरू की। उन्होंने मायावती को बड़ी नेता बताकर खुद को उनके बाद का दलित नेता तक सोशल मीडिया पर करार दिया था। युवाओं के साथ समाज में चंद्रशेखर की लोकप्रियता लगातार बढ़ने लगी।
मायावती ने चंद्रशेखर को दलित नेता का तमगा न देते हुए किनारा कर लिया। चंद्रशेखर ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से भी लोकसभा चुनाव में सीट की पेशकश की, लेकिन उन्होंने भी दरकिनार कर दिया। अपनी पार्टी के बूते चुनाव में उतरे चंद्रशेखर ने मजबूत जीत हासिल की। चंद्रशेखर की जीत को दलित सियासत के लिए बड़ा बदलाव माना जा रहा है। इसी के साथ इमरान मसूद की जीत में भी चंद्रशेखर का बड़ा रोल माना जा रहा है।
चंद्रशेखर की बढ़ती लोकप्रियता के मद्देनजर बसपा सुप्रीमो मायावती ने नगीना पर फोकस किया। उन्होंने अपने भतीजे आकाश आनंद को स्टार प्रचार के रूप में नगीना भेजा। आकाश ने अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत नगीना से ही की थी। मायावती ने खुद भी बिजनौर जिले में सभाएं कर चंद्रशेखर का नाम लिए बगैर तमाम निशाने साधे, लेकिन सब चूक गए और चंद्रशेखर के मुकुट में नगीना सज गया।
साल सीट वोट प्रतिशत
1989 3 2.1
1991-92 3 1.8
1996 11 4.0
1998 5 4.7
1999 14 4.2
2004 19 5.3
2009 21 6.2
2014 0 4.2
2019 10 3.7