नई दिल्ली: देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के स्मारक को लेकर विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. मनमोहन सिंह के स्मारक को लेकर कांग्रेस पार्टी मोदी सरकार खासकर पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर हमलावर है. राहुल गांधी से लेकर कांग्रेस के प्रवक्ता तक मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए जगह नहीं देने पर मोदी सरकार पर आरोप लगा रहे हैं. कांग्रेस के लगातार हमले के बाद मोदी सरकार भी अब एक्शन में आ गई है. केंद्रीय शहरी और आवास मंत्रालय ने रविवार से ही स्मारक को लेकर जमीन की तलाश शरू कर दी है.

शहरी आवास मंत्रालय की सक्रियता से लग रहा है कि अगले 24 से 48 घंटे में मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए जगह का चयन कर लिया जाएगा. सूत्रों की मानें, तो मोदी सरकार स्मारक के लिए जिस जगह का चयन करेगी, उससे कांग्रेस खासकर गांधी परिवार का दिमाग चकरा सकता है. क्योंकि, मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए जमीन जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, संजय गांधी और राजीव गांधी के स्मारक के बगल में मिलने की ज्यादा संभावना है.

केंद्र सरकार के सूत्रों की मानें तो मनमोहन सिंह का स्मारक पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शक्ति स्थल, राजीव गांधी के स्मारक स्थल वीर भूमि और संजय गांधी के स्मारक स्थल के आस-पास हो सकता है. हालांकि, मनमोहन सिंह के स्मारक स्थल को लेकर कुछ और जगहों का जिक्र भी हो रहा है. राष्ट्रीय स्मृति स्थल और किसान घाट के पास भी खाली जमीन को केंद्रीय शहरी आवास मंत्रालय की टीम ने दौरा कर देखा है. लेकिन, शक्ति स्थल और वीर भूमि के पास जमीन ज्यादा होने की वजह से मनमोहन सिंह का स्मारक बनने की संभावना ज्यादा लग रही है.

ऐसे में अगर केंद्र सरकार शक्ति स्थल, वीर भूमि या संजय गांधी के समाधि स्थल के पास जमीन देती है तो गांधी परिवार इससे असहज महसूस कर सकता है. क्योंकि, गांधी परिवार नहीं चाहेगा क‍ि जहां उनके परिवार के सदस्यों का स्मारक है, वहां पर देश के किसी दूसरे शख्सियत के स्मारक के लिए जगह दी जाए. ऐसे में मोदी सरकार अपने इस फैसले से कांग्रेस खासकर गांधी परिवार पर ‘गुगली’ फेंककर असहज स्थिति में ला सकती है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि अभी तक मनमोहन सिंह के मेमोरियल को लेकर आरोप लगाने वाली कांग्रेस क्या मोदी सरकार के इस फैसले का विरेध करेगी?

बीजेपी सूत्रों की मानें तो ज्यादा संभावना बन रही है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए शक्ति स्थल और वीर भूमि के पास जमीन मुहैया कराई जाएगी. मोदी सरकार अगर इन दोनों जगहों के आस-पास मनमोहन सिंह के स्मारक के जमीन आवंटित करती है तो फिर गांधी परिवार इस फैसले को शायद ही पचा पाएगा. केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद भी कांग्रेस पार्टी स्मारक पर बयान देती है तो वह एक तरह से एक्सपोज हो जाएगी. दूसरी तरफ बीजेपी फ्रंटफुट पर बैटिंग करेगी और यह कहना शुरू कर देगी कि अब जब स्मारक के लिए जगह मिल गई तो कांग्रेस पार्टी हायतौबा इसलिए मचा रही है, क्योंकि मनमोहन सिंह गांधी परिवार के सदस्य नहीं हैं?

हालांकि, मोदी सरकार मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह के किसान घाट के पास का इलाका और राष्ट्रीय स्मृति स्थल का भी दौरा किया है. राष्ट्रीय स्मृति स्थल के आस-पास भी पूर्व राष्ट्रपतियों, उपराष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्री का अंतिम संस्कार होता है. ऐसे में मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए मिलने वाली जगह को लेकर आने वाले दिनों में विवाद और बढ़ सकता है. मौजूदा वक्त में राजघाट परिसर और उसके आसपास वर्तमान में 18 स्मारक हैं. इनमें पूर्व राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों और उप प्रधानमंत्रियों के स्मारक शामिल हैं. दो अपवाद भी हैं जिनमें पूर्व पीएम लाल बहादुर शास्त्री की पत्नी ललिता शास्त्री और संजय गांधी शामिल हैं. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए आवंटित जमीन पर कांग्रेस की कहीं विरोध करना न शुरू कर दे?