नई दिल्ली. धन की देवी लक्ष्मी की कृपा हर कोई पाना चाहता है. कहते हैं कि इस भौतिक युग में जिसे लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त है, उसे जीवन में सभी प्रकार की सुख और सुविधाएं प्राप्त होती हैं. साथ ही लक्ष्मीजी की कृपा से धन-दौलत में भी वृद्धि होती है. चाणक्य ने भी अपनी चाणक्य नीति में धन के महत्व को बताया है. आचार्य चाणक्य के मुताबिक जो व्यक्ति धन की चाहत रखते हैं, उन्हें कुछ काम नहीं करना चाहिए. ये काम कौन-कौन से हैं, इसके बारे में जानिए.

चाणक्य नीति के मुताबिक लालच एक प्रकार का अवगुण है. धन का लालच करने वालों के पास मां लक्ष्मी कभी नहीं टिकती हैं. ऐसे में हर व्यक्ति को इस अवगुण का त्याग कर देना चाहिए.

चाणक्य के मुताबिक गुस्सा करने वालों से धन की देवी मां लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं. जिस कारण जीवने में कदम-कदम पर धन से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. गुस्से में इंसान सही-गलत का अंतर भूल जाता है. ऐसे में वह गलत निर्णय कर बैठता है. इतना ही नहीं गुस्सा करने वालों को समाज में भी उचित सम्मान नहीं मिलता है. ऐसे में हमेशा क्रोध पर नियंत्रण रखना चाहिए.

आचार्य चाणक्य के मुताबिक अहंकार करने वाले से मां लक्ष्मी हमेशा दूर रहती हैं. अहंकार इंसान का सब कुछ नष्ट कर देता है. चाणक्य कहते हैं हर इंसान को इस इस बुरी का त्याग करना चाहिए, ताकि मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त हो सके.

चाणक्य के अनुसार धन का अपव्यय नहीं करना चाहिए. जो इंसान फिजूल खर्च करते हैं उन्हें मां लक्ष्मी की कृपा कभी नहीं मिलती है. इसलिए हमेशा धन-संचय करना चाहिए. क्योंकि मुसीबत के समय में धन ही इंसान का साथी होता है.

चाणक्य नीति के मुताबिक आलस इंसान का सबसे बड़ा शत्रु है. आलस करने वाला व्यक्ति कभी अपना लक्ष्य हासिल नहीं कर पाता है. चाणक्य नीति के माध्यम से आचार्य चाणक्य कहते हैं कि आलसी व्यक्ति को लक्ष्मी का आशीर्वाद नहीं मिलता है. इसके अलावा आलसी इंसान धन-लाभ के अवसर को भी खो देता है.