नई दिल्ली. ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाने वाला व्रत निर्जला एकादशी व्रत के नाम जाना जाता है. इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है. इस बार यह व्रत 10 जून को रखा जाएगा. निर्जला एकादशी का व्रत सभी एकादशी व्रतों में सबसे कठिन होता है. क्योंकि इस व्रत में अन्न जल, फल आदि कुछ भी ग्रहण नहीं किया जाता है. इस व्रत को रखने के कुछ विशेष नियम हैं. जिनके पालन करने से ही निर्जला एकादशी व्रत का पूर्ण लाभ प्राप्त होता है.
निर्जला एकादशी व्रत के नियम
निर्जला एकादशी व्रत में भक्तों को एक दिन पहले ही अर्थात दशमी तिथि को शाम को भोजन नहीं करना चाहिए. इस दिन केवल फल और तरल खाद्य पदार्थ जैसे पानी और जूस आदि ही ग्रहण करें. अगले दिन प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि करके साफ कपड़ा पहन लें. उसके बाद घर के पूजा स्थल पर जाकर व्रत का संकल्प लें. पूरे दिन निर्जला व्रत रखें. भगवान के नाम का जाप करें. किसी को कटु बचन न बोलें. सबका विशेष कर महिलाओं और बुजुर्गों का सम्मान करें.
रात्रि में शयन न करें. पूरी रात्रि भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का ध्यान करें. व्रत के अगले दिन स्नान करके विधि पूर्वक पूजा करें और गरीब ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान दें. व्रत का पारण शुभ मुहूर्त में ही करें. व्रत पारण का समय- 11 जून सुबह 5 बजकर 49 मिनट’ से 8 बजकर 29 मिनट तक है.