नई दिल्ली. तांबे के बर्तन में रखा पानी सेहत के लिए बहुत लाभकारी होता है. यह हमारे देश की एक प्राचीन परंपरा का अंग भी है और आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धिति का भाग भी. तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से उन कई बीमारियों से छुटकारा मिलता है, जो दूषित पानी पीने से होती हैं. जैसे, लूज मोशन, पेट दर्द, डायरिया इत्यादि. तांबे का पानी पीने से शरीर में कॉपर की कमी भी नहीं होती है. आपको किस समय पर तांबा युक्त पानी नहीं पीना चाहिए, इस पानी के क्या फायदे होते हैं और इसे पीने की विधि क्या है, ये सभी जरूरी बातें यहां बताई गई हैं…

तांबे के बर्तन में रखा गया पानी कभी भी भोजन करने के बाद नहीं करना चाहिए. ऐसा करने से आपके पाचन पर बुरा असर पड़ सकता है. पाचन धीमा हो सकता है या पेट दर्द की समस्या भी हो सकती है. तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने का सबसे सही समय होता है सुबह खाली पेट. आप सुबह उठकर यूरिन पास करने और मुंह धोने के बाद सबसे पहले तांबे के बर्तन में रातभर रखा गया पानी पिएं.

तांबे के बर्तन में रखे पानी का लाभ पाने के लिए आप इस पानी को 12 से 48 घंटे तक तांबे की जग या लौटे में स्टोर करके रखें और फिर सुबह खाली पेट इसका सेवन करें. यदि आप पूरे दिन तांबे के बर्तन में पानी पीना चाहते हैं तो इसमें कोई बुराई नहीं है. लेकिन यह पानी ताजा भरा हुआ होना चाहिए. रातभर का रखा हुआ नहीं. क्योंकि रखा हुआ पानी आप सिर्फ सुबह खाली पेट ही पी सकते हैं.

यूं तो तांबे के बर्तन में रखे पानी को पीने के कोई नुकसान नहीं हैं. लेकिन जब आप लंबे समय तक और अधिक मात्रा में या फिर गलत विधि से इस पानी का सेवन करते हैं तो शरीर में तांबे की मात्रा अधिक होने की समस्या हो सकती है. ऐसा होने पर आपको जी मिचलाना, उल्टियां आना, पेट में दर्द होना या डायरिया जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं. अगर आप इन लक्षणों को अनदेखा करते हैं और पानी का सेवन जारी रखते हैं तो यह लिवर की खराबी और किडनी की बीमारी का कारण भी बन सकता है.