नई दिल्ली। आषाढ़ कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है. यह एकादशी पापों के प्रायश्चित के लिए विशेष महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस दिन श्री हरि के ध्यान, भजन और कीर्तन से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है. इस बार योगिनी एकादशी 23 जून रात्रि 9 बजकर 41 मिनट से लेकर 24 जून रात्रि 11 बजकर 12 मिनट तक है. इसके बाद 25 जून सुबह 05 बजकर 51 से 08 बजकर 31 मिनट तक पारण का समय है.

योगिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है

हिंदुओं में एकादशी का विशेष महत्व माना जाता है. हर महीने में दो एकादशी आती हैं एक कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में. आषाढ़ महीने की कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को योगिनी एकादशी कहते हैं. योगिनी एकादशी में भक्त भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा कर व्रत रखते हैं और पूजा के वक्त कथा सुनते हैं. प्रयागराज के पंडित आदित्य कीर्ति त्रिपाठी के मुताबिक, इस बार योगिनी एकादशी 23 जून रात्रि 9 बजकर 41 मिनट से लेकर 24 जून रात्रि 11 बजकर 12 मिनट तक है. इसके बाद 25 जून सुबह 05 बजकर 51 से 08 बजकर 31 मिनट तक पारण का समय है.

इस बार योगिनी एकादशी का सवार्थ योग और सिद्धि योग बन रहा है जो पूजा की दृष्टि से बेहद लाभकारी है.
योगिनी एकादशी का महत्व

जो भक्त योगिनी एकादशी का व्रत रखते हैं उनके समस्त पाप मिट जाते हैं. योगिनी एकादशी व्रत करने से मृत्यु के बाद नरक लोक के कष्टों को नहीं भोगना पड़ता, जो भक्त योगिनी एकादशी के व्रत रखते हैं उनको मृत्यु के बाद यमदूत नहीं देवदूत लेने आते हैं, उस व्यक्ति की आत्मा को स्वर्ग में स्थान प्राप्त होता है. योगिनी एकादशी में व्रत के पुण्य और भगवान विष्णु की कृपा से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. जो भक्त योगिनी एकादशी का व्रत रखते हैं उसे 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने का पूर्ण लाभ भी प्राप्त होता है.

योगिनी एकादशी पूजा विधि
योगिनी एकादशी के दिन सुबह स्नान के बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें. भगवान को फल फूल अर्पित करें और श्रद्धा के साथ उनकी आरती पूजन करें. गुड-चना का भी प्रसाद चढ़ाएं. इस पूजा से भगवान विष्णु आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश करेंगे. वहीं, माता लक्ष्मी आपके धन के भंडार को भी भरेंगी.

क्या हैं योगिनी एकादशी व्रत के नियम
-योगिनी एकादशी व्रत रखने वाले को कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए.
-व्रत रखने वाले को किसी से बुरा बर्ताव नहीं करना चाहिए.
-इस दिन जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए.
– इस दिन मांस मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए केवल सात्विक भोजन ही करना चाहिए.
-इस व्रत को करते समय व्रती को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और जमीन पर आराम करना चाहिए
-योगिनी एकादशी का व्रत करने वाले को व्रत के समय से जब तक इसका पारण ना हो जाए अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए. आषाढ़ कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है. यह एकादशी पापों के प्रायश्चित के लिए विशेष महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस दिन श्री हरि के ध्यान, भजन और कीर्तन से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है. इस बार योगिनी एकादशी 23 जून रात्रि 9 बजकर 41 मिनट से लेकर 24 जून रात्रि 11 बजकर 12 मिनट तक है. इसके बाद 25 जून सुबह 05 बजकर 51 से 08 बजकर 31 मिनट तक पारण का समय है.

इस बार योगिनी एकादशी का सवार्थ योग और सिद्धि योग बन रहा है जो पूजा की दृष्टि से बेहद लाभकारी है.