नई दिल्ली. चातुर्मास का प्रारंभ 10 जुलाई दिन रविवार से हो रहा है. इस दिन एकादशी तिथि भी है. इस एकादशी को देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. क्योंकि सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु इस दिन योग निद्रा में चले जाते हैं. वे अगले 4 माह तक इसी योग में रहते हैं. इसके कारण इस अवधि में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है. सनातन धर्म में ऐसी मान्यता है कि भगवान की निद्रा अवस्था में अगर कोई मांगलिक कार्य किया जाता है तो उसका परिणाम शुभ नहीं होता है.

आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 9 जुलाई दिन शनिवार शायंकाल 4:39 से प्रारंभ होगी.
देवशयनी एकादशी 10 जुलाई को दोपहर 2:13 तक रहेगी.
देवशयनी एकादशी का व्रत 10 जुलाई दिन रविवार को रखा जाएगा.
देवशयनी एकादशी के दिन ही चातुर्मास का प्रारंभ माना जाता है इसमें कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है.
चातुर्मास में नहीं किए जाते ये काम (Do not these works in Chaturmas 2022 )

चातुर्मास में विवाह, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश आदि जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं.
शादीशुदा व्यक्ति को चातुर्मास में पत्नी के साथ सहवास नहीं करना चाहिए.
चातुर्मास के व्रत को पूरा करने वाले को भूमि पर सोना चाहिए.
चातुर्मास में ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना अनिवार्य बताया गया है.
चातुर्मास में व्रत रखने वाले जातकों को बाल, दाढ़ी और नाखून नहीं काटने चाहिए.
चातुर्मास में ईश्वर की भक्ति के लिए तन, मन से शुद्ध रहना चाहिए और श्रद्धा के साथ ईश्वर की प्रार्थना करनी चाहिए.
संत महात्मा लोग भी चातुर्मास में एक ही जगह पर रुक कर भगवान का भजन करते हैं. इसलिए चातुर्मास में व्रत रखने वालों को यात्रा से बचना चाहिए.
चातुर्मास में मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन आदि नहीं खाना चाहिए.