चमोली. इन दिनों उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित सिखों के धाम हेमकुंड साहिब में भक्तों का रेला उमड़ रहा है। समुद्रतल से 15225 फीट की ऊंचाई पर चमोली जिले में स्थित हेमकुंड साहिब की यात्रा खासी चुनौतीभरी होती है। पूरी तरह स्वस्थ तीर्थ यात्री भी जहां घांघरिया से हेमकुंड साहिब तक की छह किमी खड़ी चढ़ाई चढ़ते-चढ़ते हांफने लगते हैं।
वहीं पंजाब निवासी हर भगवान सिंह दोनों पैर से दिव्यांग होने के बावजूद हाथों के सहारे ही हेमकुंड साहिब पहुंच गए। यही नहीं, गोविंदघाट से घांघरिया तक भी वे हाथों के सहारे ही पहुंचे।
40-वर्षीय हर भगवान सिंह मोगा (लुधियाना) से बीती 19 जुलाई को अकेले ही हेमकुंड साहिब के लिए रवाना हुए और शनिवार को उन्होंने दरबार साहिब में मत्था टेका। शाम को घांघरिया लौटने पर हर भगवान ने बताया कि लौट-फेर में उन्हें तीन दिन लगे।
उन्होंने बताया कि दस वर्ष पूर्व उनके दोनों पैर रेल पटरी पर आवाजाही के दौरान ट्रेन की चपेट में आकर कट गए थे। लेकिन, गुरु महाराज के प्रति अगाध आस्था उन्हें हेमकुंड साहिब खींच लाई। इसी आस्था ने उनकी यात्रा को सफल बनाया।
हर भगवान ने बताया कि पत्नी समेत अन्य स्वजन ने उन्हें अकेले यात्रा न करने की सलाह दी, लेकिन उनका संकल्प दृढ़ था, इसलिए फिर उन्होंने भी हामी भर ली। यात्रा के दौरान लगा ही नहीं कि उनके पैर नहीं हैं। बताया कि उनके दो बच्चे भी हैं।
हेमकुंड साहिब में श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला जारी है। झारखंड निवासी 97 वर्ष की दादी के गजब के जज्बे ने सभी को हैरान कर दिया है। आस्था जमशेदपुर टाटा नगर (झारखंड) निवासी हरवंत कौर को हेमकुंड साहिब खींच लाई।