नई दिल्ली. ज्योतिष शास्त्र में शनि को न्यायाधीश माना गया है. शनि देव कर्मों के आधार पर शुभ-अशुभ फल प्रदान करते हैं. जिस व्यक्ति पर शनिदेव की बुरी नजर पड़ जाए उसका बुरा वक्त शुरू हो जाता है. ग्रहों के बदलाव से व्यक्ति का जीवन भी प्रभावित होता है. कुंडली में जब शनि का स्थान परिवर्तन होता है तो नकारात्मक और सकारात्मक दोनों परिणाम मिलते हैं.
शनि का प्रकोप ढाई और साढ़े सात साल तक रहता है. आइए जानते हैं शनि के अशुभ होने पर क्या संकेत मिलते हैं.
अचानक धन हानि होना, व्यापार में लगातार गिरावट आने लगे तो समझ लीजिए कि ये शनि के अशुभ फल का संकेत है.
शनि देव के अशुभ प्रभाव से व्यक्ति को नौकरी संबंधित परेशानियां झेलनी पड़ती है.जॉब में बिना वजह से कई दिक्कत पैदा होने लगती है. ऐसे समय में कई बार तो नौकरी तक छिन जाती है.
शनि के प्रकोप में व्यक्ति झूठे मामलों में भी फंस सकता है. इससे मान-सम्मान को ठेस पहुंचने लगती है और मन अशांत रहने लगता है.
क्रोध बढ़ने लगे, बुरी लत चोरी, जुआ, सट्टे जैसे काम में पड़ जाए तो समझ लें की ये शनि के अशुभ प्रभाव का संकेत है. इन आदतों की वजह से दरिद्रता आने लगती है. ऐसे समय में लालच भी बढ़ने लगता है औऱ व्यक्ति अधार्मिक हो जाता है. धर्म-कर्म के काम में उसका मन नहीं लगता.
ज्योतिश शास्त्र के अनुसार जब शनि भारी होता है तो व्यक्ति के माथे का तेज खत्म होने लगता है. ललाट पर कालापन भी नजर आता है.
व्यक्ति को कुत्ता काट ले या फिर किसी जानवर के हमाल करने पर आप गंभीर रूप से घायल हो जाए तो ये भी शनि के अशुभ प्रभाव के संकेत माने जाते हैं.
शनि की शुभता पाने के लिए अमावस्या पर पवित्र नदी में स्नान कर गरीबों को क्षमता अनुसार वस्त्र, अन्न दान करें.
शनिवार के दिन पीपल के पेड़ में जल अर्पित करने से बहुत जल्दी शनि ग्रह की समस्याएं दूर होती हैं.
शनि के अशुभ प्रभाव कम करने के लिए हर शनिवार को शनिदेव पर सरसों का तेल चढ़ाएं. साथ ही सरसों के तेल का दीपल लगाकर शनि चालीसा का पाठ करें.
शनिवार के दिन लोहे की वस्तुएं, काले वस्त्र, उड़द, सरसों का तेल, जूते-चप्पल आदि का दान करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं.