स्योहारा (बिजनौर)। भले ही आधार कार्ड लोगों के लिए पहचान का सबूत हो, लेकिन किसी के लिए यह मिलन का भी आधार साबित हो गया। जी हां, बिहार के एक व्यक्ति के पत्नी से नौ सालों के वियोग को खत्म करने की वजह आधार कार्ड बना। दरअसल, नाराजगी की वजह से बिहार की एक महिला एक साल की बेटी को लेकर घर से निकल आई थी। अब महिला ने स्योहारा इलाके में आधार कार्ड बनवाया तो वह बिहार के पते पर जा पहुंचा। इसमें दर्ज मोबाइल नंबर ने महिला और उसकी बेटी को बिछड़े हुए परिवार से मिला दिया।

बिहार राज्य की निवासी एक महिला नौ वर्ष पूर्व पति से नाराज होकर घर से निकल गई थी। महिला अपनी एक वर्षीय पुत्री के साथ भटकती रही। इस बीच उसने एक व्यक्ति पर विश्वास किया, लेकिन यहां भी उसे धोखा ही मिला। आरोपी ने उसे स्योहारा थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी व्यक्ति को 50 हजार रुपये में बेच दिया। इन नौ सालों में महिला स्योहारा थाना क्षेत्र के एक गांव में इस खरीदार के साथ रह रही थी। अब कुछ दिन पहले महिला ने स्योहारा में आधार कार्ड बनवाया। महिला ने बेटी के आधार में बिहार का पता लिखवा दिया। करीब 12 दिन पहले यह आधार कार्ड बिहार में उसके घर पहुंच गया।

आधार कार्ड उसके पति को मिला तो उसे यकीन हो गया कि उसकी बेटी और पत्नी जिंदा है। उसने आधार कार्ड में लिंक नंबर को निकलवाया और कॉल की। इस मोबाइल नंबर के सहारे महिला का पूरा परिवार बिहार से स्योहारा पहुंच गया। तीन दिन तक अपनी पत्नी व पुत्री को वापस लेने की मन्नत करने के बाद भी जब स्योहारा निवासी व्यक्ति ने आनाकानी की तो पीड़ित पति ने पुलिस से गुहार लगाई। पुलिस के हस्तक्षेप के बाद नौ वर्ष बाद जब एक पिता का अपनी पुत्री और पत्नी से मिलन हुआ तो सभी की आंखें नम हो र्गइं। जिसके बाद तीनों अपने घर चले गए।

महिला के बिहार निवासी पति ने बताया कि उसकी पत्नी के मायके वाले अक्सर उस पर बेटी की हत्या का आरोप लगाते रहते थे। उसके जेल भिजवाने की धमकी दी जाती थी, लेकिन उन्होंने थाने में रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई। उसे पत्नी और बेटी के जीवित होने का विश्वास था। उसे भरोसा था कि एक दिन उसका पत्नी और बेटी से मिलन जरूर होगा। वह भी लगातार उनकी तलाश में जुटा रहा।