नई दिल्ली : मौसम बदल रहा है सावधान हो जाइए… आजकल डॉक्टर ऐसी ही सलाह लोगों को दे रहे हैं. वजह, वायरल संक्रमण की वजह से तेज बुखार, बदन दर्द और खांसी-जुकाम के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी देखी गई है. बड़ी बात यह है कि यदि किसी व्यक्ति को सर्दी-जुकाम हो जाए तो उसके आसपास के स्वस्थ लोग भी इस बीमारी की चपेट में आ जाते हैं. यही नहीं, दिल्ली के कई अस्पताल में बड़ी संख्या में डेंगू के संदिग्ध मरीज भी आ रहे हैं.
यदि इनका समय रहते उपचार न लिया तो कई बार स्थिति गंभीर भी बन सकती है. ऐसे में खुद का बचाव बेहद जरूरी है. अब सवाल है कि आखिर सर्दी-जुकाम और वायरल फीवर से बचा कैसे जाए? किन बातों का रखें ख्याल? इस बारे में बता रहे हैं जीटीबी हॉस्पिटल दिल्ली के मेडिसिन युनिट हेड डॉ. अमितेश अग्रवाल-
डॉ. अमितेश अग्रवाल बताते हैं कि, गर्मी के बाद बरसात, बरसात के बाद सर्दी, सर्दी के बाद फिर गर्मी. ये मौसम का क्रम है, जो हमेशा चलता रहेगा. इसलिए हमें मौसम के मुताबिक ढलना होगा. क्योंकि, किसी भी मौसम की शुरुआत सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकती है. इसकी खास वजह है कि, एक मौसम से दूसरे मौसम में जाने के लिए हमारी बॉडी पूरी तरह तैयार नहीं हो पाती है. ऐसे में इसका सीधा असर हमारी इम्युनिटी पर पड़ता है. नतीजन, हम बीमार होने लगते हैं. दरअसल, इम्युनिटी कमजोर होने से वायरस या बैक्टीरिया आसानी से हमला कर जाते हैं. इससे वायरल बुखार, सर्दी-जुकाम, गले में खराश की बीमारी बढ़ने लगती है. वैसे तो वायरल 2-4 दिन में खुद से ठीक हो जाता है. लेकिन, यदि बैक्टीरियल इंफेक्शन की स्थिति बिगड़े तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
पोस्ट वायरल बलगम के साथ खांसी का प्रकोप लोगों को परेशान कर रहा है. इसमें वायरल बुखार ठीक होने के 4-5 दिन बाद भी लोगों में तेज खांसी व हल्का बुखार देखा जा रहा है. यह खांसी लंबे समय तक चल रही है. डॉक्टर के मुताबिक, सर्दी या फ्लू जैसे वायरस के बाद भी खांसी रह सकती है. इसे पोस्ट वायरल खांसी कहते हैं. ऐसा अधिकतर ऊपरी श्वसन तंत्र में संक्रमण की वजह से होता है.
ज्यादातर मामलों में खांसी सुबह कम आती है और दोपहर बाद बढ़ने लगती है. इसी के साथ ही सिरदर्द, आंखों में आंसू जलन या बॉडी में गर्माहट महसूस होने जैसे लक्षण भी दिखते हैं. पोस्ट वायरल कफ 3 से 8 सप्ताह तक चल सकता है. इसलिए अगर लंबे समय से आपकी खांसी ठीक नहीं हो रही तो घबनाएं नहीं और न ही नकरात्मक सोचें. डॉक्टर से मिलकर जांच करवा लें.
आमतौर पर बुखार और शरीर दर्द में लोग मेडिकल स्टोर से बिना डॉक्टर की सलाह से दवा ले लेते हैं, जोकि खतरनाक हो सकता है. हालांकि, दिल्ली के ड्रग कंट्रोल विभाग ने सभी मेडिकल स्टोर संचालकों को बिना डॉक्टरी पर्चे के इन दर्द निवारक दवाओं की बिक्री न करने और इनका रिकॉर्ड रखने को कहा है.
एक्सपर्ट की मानें तो एस्प्रिन, डायक्लोफेनेक और आइबूप्रोफेन तीनों ही श्रेणी की दवा नॉन स्टेरॉयड एंटी इंफ्लेमेट्री ड्रग हैं. यह दर्द निवारक दवा हैं. एस्प्रिन दवा खून पतला करने के लिए भी दी जाती है. यह तेजी से प्लेटलेट्स कम करती है. डेंगू बुखार में चूंकि पहले से ही प्लेटलेट्स कम हो जाती हैं, ऐसे में यह दवा लेने पर ब्लीडिंग हो सकती है. इसलिए डॉक्टरी सलाह के बिना कोई दवा नहीं लेनी चाहिए.