नई दिल्ली: हंसी लबों पे है दिल में शगुफ़्तगी तो नहीं, ये इक लतीफ सा धोखा है जिंदगी तो नहीं, समझ रहा हूं कि अपना बना लिया है उन्हें, इसी का नाम मोहब्बत की सादगी तो नहीं, लगा रहा हूं लबों की हसी से अंदाजा कि मेरे गम की तलब में कोई कमी तो नहीं… एक शायर की ये लाइनें इस वक्त महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर सटीक बैठ रही हैं। महाराष्ट्र में महायुति (NDA) की शानदार जीत के बावजूद एकनाथ शिंदे के फिर से सीएम बनने के आसार नहीं लग रहे हैं। उनके चेहरे पर जीत की खुशी तो है, लेकिन माथे पर एक शिकन सी भी दिखाई दे रही है।

हालांकि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति (NDA) गठबंधन के भारी मतों के साथ शानदार जीत के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शनिवार को कहा कि गठबंधन के पास ऐसा कोई निश्चित फॉर्मूला नहीं है कि सबसे अधिक सीट जीतने वाली पार्टी के व्यक्ति को ही मुख्यमंत्री का पद मिलेगा। शिंदे ने कहा कि उनकी प्रमुख पहल ‘मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना’ के कारण ही विधानसभा चुनाव के रुझान महायुति के पक्ष में हैं।

महाराष्ट्र में महायुति (NDA) गठबंधन में बीजेपी बंपर सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। उसके बाद शिवसेना (एकनाथ शिंदे) और एनसीपी (अजित पवार) का नंबर है। अब सब यही सोच रहे हैं कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा? मुख्यमंत्री पद को लेकर अभी तक कोई फैसला नहीं हो पाया है। लेकिन बीजेपी कार्यकर्ताओं का जोश साफ बता रहा है कि इस बार मुख्यमंत्री बीजेपी का होना तय है। इन बीच नीतीश कुमार चर्चा में है। दरअसल यह स्थिति 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव जैसी है। तब बीजेपी को 74 और जेडीयू को 43 सीटें मिली थीं। लेकिन बीजेपी ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया था। अब देखना होगा कि महाराष्ट्र में बीजेपी क्या फैसला लेती है।

राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि बीजेपी देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाना चाहती है। लेकिन शिवसेना चाहती है कि एकनाथ शिंदे ही मुख्यमंत्री रहें। कुछ लोगों का मानना है कि बीजेपी को एकनाथ शिंदे को ही मुख्यमंत्री बना देना चाहिए। इससे गठबंधन मजबूत होगा। लेकिन कुछ लोग कहते हैं कि देवेंद्र फडणवीस ज्यादा अनुभवी हैं। वे राज्य को बेहतर तरीके से चला सकते हैं। बीजेपी के लिए यह एक मुश्किल फैसला है। उसे यह सुनिश्चित करना होगा कि गठबंधन में कोई दरार न आए। साथ ही, उसे यह भी ध्यान रखना होगा कि जनता को क्या संदेश जाता है।