बुलंदशहर। उप डाकघर लखावटी में फर्जी डाक टिकट के माध्यम से ढाई करोड़ के फर्जीवाड़े की साजिश दिल्ली-एनसीआर में रची गई थी। बताया जा रहा है कि दिल्ली के पास से एक गिरोह फर्जी डाक टिकट तैयार कर एनसीआर व पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में इन्हें बेचा जा रहा है। जांच का दायरा बढ़ा तो कई सौ करोड़ का घोटाला सामने आ सकता है।
23 नवंबर को दिल्ली निवासी राजेश कुमार 110 किमी की दूरी तय कर 5599 पैकेट बुक करने के लिए लखावटी उप डाकघर आया था। रास्ते में लगभग 50 डाकघर पड़े होंगे लेकिन उसने लखावटी पहुंचकर ही इन्हें बुक कराना उचित और सुरक्षित समझा।
अधिकारियों ने राजेश को पकड़ा लेकिन सामान्य पूछताछ के बाद ही उसे छोड़ दिया गया। किसी ने यह जानकारी नहीं हासिल की राजेश कहां से फर्जी टिकट लेकर ड़ाकघर में पहुंचा था। बताया जा रहा है कि डिबाई डाकघर में भी इसी प्रकार फर्जी डाक टिकट का मामला सामने आया था। जहां डिबाई के पते पर संचालित एक फ्रेंचाइजी की ओर से फर्जी डाक टिकट लगे पैकेट डाकघर से बुक कराए थे। अधिकारियों ने यहां कार्रवाई के नाम पर केवल एजेंसी के कार्य पर रोक लगा दी थी। बताया जा रहा है कि एजेंसी की ओर से जिन डाक पर फर्जी टिकट लगाए गए थे, वह अधिकतर डिबाई क्षेत्र के बाहर के थे।
जिले के डाकघरों में सबसे अधिक लखावटी उप डाकघर में रजिस्ट्री, स्पीड पोस्ट एवं पार्सल की बुकिंग हो रही थी। डिबाई डाकघर में इससे कम बुकिंग होने पर दोनों जगह जांच की गई। डिबाई मामले में केवल फ्रेंचाइजी की गलती विभागीय अफसरों को मिली और लखावटी में उप डाकपाल, बाबू एवं एक चतुर्थ श्रेणी कर्मी की लापरवाही मानते हुए निलंबित कर दिया गया था। मई 2023 से नवंबर 2024 तक लखावटी डाकघर से 27 लाख 69 हजार आठ सौ रुपये के डाक टिकट बेचे गए। जिसमें विभाग के 2.51 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ।
राजेश ने दिल्ली से आकर लखावटी डाकघर से जो पैकेट भेजे थे, उनमें प्रेषक और प्राप्तकर्ता दोनों ही दिल्ली के होते थे। ऐसे में माना जा रहा है कि राजेश ने फर्जी डाक टिकट को चलाने के लिए दिल्ली से पैकेट एकत्रित किए और उन पर टिकट लगाते हुए लखावटी डाकघर में पहुंचकर खामियों का फायदा उठाया। ऐसे में राजेश को पकड़ने के बाद भी छोड़ने वाले अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।
जिले में सबसे अधिक बुकिंग लखावटी व डिबाई डाकघर से होने पर जांच कराई गई थी। डिबाई डाकघर के मामले की अभी जांच चल रही है। राजेश पर भी कार्रवाई के लिए सीबीआई की एंटी करप्शन विंग में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। डाक टिकट पहले से लगे होने की जांच के लिए विभाग के पास कोई मशीन नहीं है। नासिक लैब से संबंधित के असली या जाली होने का पता चलता है। दिल्ली-एनसीआर के लोगों ने लखावटी डाकघर को क्यों चुना यह जांच का विषय है। – युवराज सिंह, डाक अधीक्षक बुलंदशहर
बुलंदशहर के लखावटी उप डाकघर के निलंबित उप डाकपाल राहुल कुमार रविवार सुबह गिरधारीनगर स्थित अपने आवास के पास ट्रेन के सामने कूदकर जान दे दी। राहुल पर ढाई करोड़ के टिकट गबन का आरोप था। शुक्रवार को सीबीआई ने इस मामले में पूछताछ की थी। मौत से पहले सुसाइड नोट भी अपने व्हाट्सएप स्टेटस पर लगाया था।
डाक अधीक्षक बुलंदशहर ने लगभग टिकट गबन मामले में राहुल कुमार, बाबू गोपाल और चपरासी जय प्रकाश को 26 नवंबर को निलंबित कर दिया था। डाक अधीक्षक के नेतृत्व में मंडलीय टीम गबन की जांच कर रही थी। 11 दिसंबर को डाक अधीक्षक ने सीबीआई गाजियाबाद को भी अवगत कराया था।
इसके बाद सीबीआई गाजियाबाद ने उप डाकपाल राहुल कुमार, आरोपी ग्राहक राजेश निवासी नई दिल्ली व एक अन्य अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी। शुक्रवार को ही सीबीआई ने राहुल कुमार के गिरधारीनगर स्थित आवास पर कई घंटे पूछताछ की थी। टीम ने अपने साथ लखावटी कार्यालय भी ले गई थी। सीबीआई के जाने के बाद से ही राहुल कुमार तनाव में थे। रविवार सुबह लगभग साढ़े पांच बजे गिरधारीनगर में नए रेलवे ट्रैक से गुजर रही मालगाड़ी के सामने कूद गए।
कुछ देर बाद उन्हें खोजते हुए मौके पर पहुंचे परिजनों ने अस्पताल पहुंचाया। उनका बायां पैर शरीर से अलग हो गया था। शरीर के अन्य हिस्सों में भी गंभीर चोटें थीं। जिला अस्पताल से चिकित्सकों ने गंभीर हालत को देखते हुए मेरठ के लिए रेफर कर दिया लेकिन रास्ते में ही मौत हो गई। मौत से राहुल ने कागज पर लिखकर सुसाइड नोट अपने व्हाट्सएप स्टेटस पर लगाया था। सुसाइड नोट में उप डाकपाल ने मंडलीय जांच टीम और आरोपी ग्राहक राजेश को अपनी आत्महत्या का जिम्मेदार ठहराया है। पोस्टमार्टम के बाद रविवार दोपहर परिजनों ने अंतिम संस्कार कर दिया।