नई दिल्ली: भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) का कहना है कि 4 जनवरी से उत्तर भारत ताजा पश्चिमी विक्षोभ की चपेट में आने वाला है। इसके चलते यहां पर बारिश और बर्फबारी की संभावना बढ़ गई है। आईएमडी की ओर से कहा गया, ‘पश्चिमी विक्षोभ 4 जनवरी की रात से उत्तर-पश्चिम भारत को प्रभावित करेगा। ऐसे में 1 से 3 जनवरी तक पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में बारिश और बर्फबारी हो सकती है।’ मौसम विभाग ने 4, 5 जनवरी को भी बड़े पैमाने पर बारिश और बर्फबारी की भविष्यवाणी की है। IMD की वैज्ञानिक सोमा सेन रॉय ने बताया कि फिलहाल पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारतीय क्षेत्र से दूर चला गया है। इसके चलते शीतलहर की स्थिति कम हो गई है, जो केवल पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में बनी हुई है।

राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में सोमवार को न्यूनतम तापमान 10.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से 3.5 डिग्री अधिक है। दिल्ली में सुबह 9 बजे वायु गुणवत्ता 178 पर मध्यम श्रेणी में थी। समीर ऐप के आंकड़ों के अनुसार, 10 केंद्रों ने वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) को खराब श्रेणी में दर्ज किया, जबकि अन्य में ये मध्यम श्रेणी में रही। आईएमडी ने अधिकतर स्थानों पर धुंध व घना कोहरा और सुबह के समय कुछ स्थानों पर घना कोहरा छाए रहने का पूर्वानुमान व्यक्त किया है। बाद में आसमान साफ ​​रहने की संभावना है, जबकि शाम और रात में धुंध या हल्का कोहरा छाने के आसार है। मौसम विभाग ने अधिकतम तापमान 18 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 9 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की संभावना जताई है।

कश्मीर के गुलमर्ग और पहलगाम में शीतलहर से कड़ाके की ठंड जारी है और तापमान हिमांक बिंदु से कई डिग्री नीचे चला गया है। हालांकि, घाटी के अन्य हिस्सों में सर्दी से कुछ राहत मिली है। मौसम विभाग ने बताया कि उत्तरी कश्मीर में स्कीइंग गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध पर्यटन स्थल गुलमर्ग में न्यूनतम तापमान शून्य से 10 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया, जो पिछली रात की तुलना में 2 डिग्री कम है। दक्षिण कश्मीर में वार्षिक अमरनाथ यात्रा के लिए आधार शिविर पहलगाम में न्यूनतम तापमान शून्य से 9.2 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया। पिछली रात यह शून्य से 8.5 डिग्री सेल्सियस नीचे था। श्रीनगर में रात के समय तापमान शून्य से 0.9 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया जो सामान्य से एक डिग्री अधिक है। वर्तमान में कश्मीर घाटी ‘चिल्ला-ए-कलां’ की चपेट में है। इसे सर्दियों का सबसे कठिन समय माना जाता है, जो 21 दिसंबर से शुरू हुआ था। चिल्ला-ए-कलां की 40 दिनों की अवधि के दौरान सबसे अधिक बर्फबारी होती है।