बिजनौर में कालागढ़ टाइगर रिजर्व के नलकट्टा में गश्ती दलों को बाघ का शव मिला। वन विभाग के अधिकारियों ने वर्चस्व की लड़ाई में बाघ की मौत होने की आशंका जताई है। जंगल में दूसरे बाघ की निगरानी शुरू कर दी गई है।

कार्बेट टाइगर रिजर्व के कालागढ़ टाइगर रिजर्व की मोरघाटी रेंज के नलकट्टा कक्ष संख्या छह में एक बाघ का शव गश्ती दलों को मिला। बाघ का शव दो दिन पुराना प्रतीत होता है। उसके शरीर पर चोट के निशान भी देखे गए। डीएफओ नीरज कुमार शर्मा एवं अधिकारी मौके पर पहुंचे। बाघ के शव को निगरानी में लेकर चिकित्सा दल को सूचना दी गई।

डीएफओ के मुताबिक, प्रथम दृष्टया देखकर यह लगता है कि यह मामला दो बाघों के आपसी लड़ाई का है। अक्सर प्राकृतावास के दायरे आदि को लेकर बाघों में लड़ाई हो जाती है। जिसकी परिणति एक की जान जाने पर ही होती है। इस बाघ के मामले में भी ऐसा ही प्रतीत होता है। आसपास के लोगों ने भी बताया कि यहां पर बाघों की गुर्राहट और दहाड़ने की आवाज आ रही थी।

बाघ के शव को कब्जे में लेकर उसका पोस्टमार्टम कार्बेट टाइगर रिजर्व के चिकित्सक डॉ. दुष्यंत, कोटद्वार के पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. डीपी गुप्ता एवं कलालघाटी के राजकीय पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. कुमार सुबोध रंजन ने किया। उन्होंने दावा किया कि बाघ के सभी अंग सुरक्षित हैं। बाघ की आयु चार से पांच वर्ष रही होगी। घटनास्थल के आसपास गश्ती दलों को सतर्क करते हुए निर्देशित किया गया है कि वह दूसरे बाघ की निगरानी शुरू कर दें। उसकी सुरक्षा और उसके स्वास्थ्य का भी ध्यान रखा जाए।

राष्ट्रीय बाघ प्राधिकरण के निर्देशों के अनुसार, बाघ के शव को विभागीय अधिकारियों एवं एनजीओ के पदाधिकारियों की उपस्थिति में जलाया गया। बाघ की मृत्यु के कारणों का पता पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही चल पाएगा।

कार्बेट टाइगर रिजर्व के इलाके में नौ दिन में दो बाघों की मौत हो गई। 27 अप्रैल को एक बाघ ने उपचार के दौरान ढेला के रेस्क्यू सेंटर में दम तोड़ दिया था। वह झिरना के जंगलों में घायल मिला था। हालांकि वन विभाग ने इस बाघ की निगरानी के लिए गश्ती दल तैनात कर रखा था। अब वर्तमान में कालागढ़ टाइगर रिजर्व में एक बाघ का शव मिला है।