नई दिल्ली। रामायण प्राचीन भारत की एक महाकाव्य चित्र कथा है, जिसे प्रसिद्ध फिल्मों और टीवी सीरीज़ के ज़रिए दिखाया गया है। कहानी राम के जीवन और उनके चौदह साल के वनवास के बारे में बताती है। इस महाकाव्य में लंकेश रावण है, जो भगवान राम की पत्नी सीता का अपहरण करता है। इस कहानी में रावण को बुरा इंसान बताया गया है, लेकिन इसक बावजूद कई लोग उनका सम्मान करते थे, जिनमें स्वयं भगवान राम भी शामिल थे।
देवदत्त पटनायक ने अपने ब्लॉग “दिस वॉज़ रावण टू” में बताया है कि आखिर रावण का सम्मान क्यों किया जाता था। साथ ही बताई हैं इस कैरेक्टर के बार में दिलचस्प बातें।
रावण सुशिक्षित था और अत्यंत बुद्धिमान माना जाता था। देवदत्त पटनायक के ब्लॉग पोस्ट के अनुसार, वह एक विद्वान था, उसे छह शास्त्रों और चार वेदों का ज्ञान था। राम ने अपने भाई लक्ष्मण को भी रावण के पास बैठने के लिए कहा था, ताकि वह मरते समय राज्य कला और कूटनीति में महत्वपूर्ण सबक सीख सकें। रावण आयुर्वेद पर लिखी गई 7 पुस्तकों के लेखक भी था।
रावण को भगवान शिव का सच्चा भक्त भी माना जाता था। वाल्मीकि की रामायण के अनुसार, रावण ने राम के लिए एक यज्ञ भी किया था। ऐसा माना जाता है कि यह यज्ञ उनकी सेना द्वारा बनाए गए पुल का उपयोग करने से पहले भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया गया था। भले ही राम उनके शत्रु थे, रावण ने यज्ञ करके उन्हें सम्मानित करने का फैसला किया था।
देवदत्त पटनायक के ब्लॉग के अनुसार, रावण को सिद्धांतों का व्यक्ति होने के लिए भी बहुत सम्मान दिया जाता है। इस तथ्य के पीछे का कारण था कि उसने सीता की अनुमति के बिना कभी भी उनको नुकसान नहीं पहुंचाया, यहां, तक कि छुआ तक नहीं। ऐसा कहा जाता है कि ऐसा इसलिए था क्योंकि वह हमेशा अपने सिद्धांतों का पालन करते थे। लक्ष्मण द्वारा सुप्राणखा की नाक काटने के बाद ही उन्होंने सीता का अपहरण किया था।
रावण एक महान अन्वेषक भी था और विज्ञान के प्रति उसका प्रेम रामायण कथाओं से साफ ज़ाहिर होता है। वाल्मीकि की रामायण के अनुसार, यह भी कहा जाता है कि उन्होंने अपने वैज्ञानिक ज्ञान के माध्यम से अपने उड़ने वाले वाहन, पुष्पक विमान का निर्माण किया था। बड़ी संख्या में लोग, रावण की पूजा और सम्मान करते है, जिसके पीछे उनकी बुद्धि सबसे लोकप्रिय कारणों में से एक है।
रावण को पूरे श्रीलंका में एक महान राजा और ब्रह्मा के पोते के रूप में भी सम्मानित किया जाता है। रामायण और उनके कई अनुयायियों और यहां तक कि रामायण के विभिन्न संस्करणों में कहा गया है कि वह प्रसिद्ध ऋषि, विश्रवास के पुत्र थे। उनके पिता प्रजापति पुलस्त्य के पुत्र थे, जिन्हें ब्रह्मा के दस ‘मन-जनित’ पुत्रों में से एक माना जाता है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार, उनमें सूर्योदय और सूर्यास्त को नियंत्रित करने की क्षमता भी थी। यह भी कहा जाता है कि उनके पुत्र मेघनाद के जन्म के समय रावण ने ग्रहों को बच्चे के 11वें भाव में रहने का ‘निर्देश’ दिया था, जो उसे अमर बना सकता था।