नोएडा। नामी आयुर्वेदिक दवा कंपनी के नाम पर नकली शक्तिवर्धक दवाइयां बनाने वाली कंपनी का पुलिस और आयुष विभाग की टीम ने खुलासा किया है। सेक्टर-10 में चल रही कंपनी में छापा मारकर पुलिस ने दो भाइयों अनीस अहमद और मोहम्मद शमी को गिरफ्तार किया है। कंपनी से बड़ी तादाद में नकली दवाइयां और अन्य सामान बरामद हुए हैं। पुलिस और आयुष विभाग की टीम मामले की जांच कर रही है।

मुरादाबाद निवासी अजीजुल हसन आयुर्वेदिक दवा कंपनी नमन इंडिया चलाते हैं। कंपनी टाइगर किंग नाम से उत्पाद बनाती है। अजीजुल का आरोप है कि कर्मचारी अनीस अहमद कंपनी छोड़कर चला गया। आरोप है कि अनीस टाइगर किंग समेत अन्य उत्पादों से मिलती-जुलती आयुर्वेदिक दवाइयां बना रहा था। अजीजुल की शिकायत पर कोतवाली फेज वन पुलिस ने ड्रग निरीक्षक गौतमबुद्धनगर को साथ लेकर सेक्टर-10 स्थित फैक्टरी पर छापा मारा।

इस दौरान यहां बड़ी संख्या में टाइगर किंग कंपनी के प्रोडक्ट से मिलते जुलते रैपर, होलोग्राम और बड़ी संख्या में दवाइयां व अन्य सामान बरामद हुआ। टाइगर किंग क्रीम, नाइट गोल्ड क्रीम, मैनपॉवर क्रीम, यूनिट टाइम एंड ऑयल, कंप्रेसर मशीन, इलेक्ट्रिक पैकेजिंग मशीन, सीलिंग मशीन भी भारी मात्रा में यहां से मिली। पुलिस ने इसके बाद आरोपी अनीस अहमद और उसके भाई मोहम्मद शमी को गिरफ्तार कर लिया।

आरोपियों ने टाइगर किंग प्रोडक्ट से मिलते-जुलते उत्पाद बनाकर बेचने की बात कबूल ली। छानबीन में पता चला है कि आरोपियों के पास दवा बनाने का लाइसेंस भी नहीं था। इस मामले में कोतवाली फेज वन पुलिस ने कॉपीराइट एक्ट के अलावा विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया है।

सेक्टर-10 स्थित कंपनी में 24 से अधिक लोग काम करते थे। जो दवा बनाने से लेकर पैकेजिंग का काम करते थे। पुलिस ने मौके से भारी मात्रा में कच्चा माल बरामद किया है। पुलिस अनीस और शमी के पास से लैपटॉप और मोबाइल की जांच कर नकली दवाइयों का खरीदारों की पहचान में जुटी है।

अजीजुल ने बताया कि हाल ही में उनकी कंपनी की दवाइयों की मांग कम हुई। आंतरिक जांच में पता चला कि नमन इंडिया कंपनी में बनने वाली दवाओं से मिलती जुलती दवा दुकानों में पहुंचाई जा रही थीं। इसके बाद पता चला कि नोएडा में उनकी कंपनी के नाम का इस्तेमाल कर नकली दवाइयां बनाईं जा रही है।

आरोपी नकली दवाइयां कम कीमत पर बाजार में बेचते थे। ग्राहकों को बताया जाता था कि कंपनी ने दवाइयों की कीमतें कम कर दी हैं। नकली दवा बनाते समय मानकों का ध्यान नहीं रखा जाता था और कच्चे माल का इस्तेमाल किया जाता था। आशंका जताई जा रही है कि आरोपियों ने नकली दवाइयां बेचकर करोड़ों की कमाई की है।