चंडीगढ़. भारत के ज्यादातर राज्यों में खरीफ फसलों की बुवाई का काम पूरा हो चुका है. कई किसान ऐसे भी है, जिन्होंने मौसम की अनिश्चितताओं या पानी के कमी के कारण धान की फसल नहीं लगाई है. यही कारण है कि अभी भी ज्यादातर किसानों के खेत खाली पड़े है. ऐसे किसानों के लिये हरियाणा सरकार एक अच्छी खबर लाई है.
दरअसल हरियाणा राज्य में ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ योजना के तहत किसानों को 7,000 रुपये प्रति एकड़ की दर से सब्सिडी दी जा रही है. आर्थिक अनुदान की ये राशि धान की जगह कपास, तिलहनी और दलहनी फसलों की खेती करने पर लाभार्थी किसानों को दी जायेगी.
जाहिर है कि धरती का भूजल स्तर गिरता जा रहा है. ऐसी स्थिति में ज्यादातर राज्य सराकर कम पानी वाली फसलें या बागवानी फसलों की खेती पर जोर दे रहे हैं. इन्हीं राज्यों में शामिल है हरियाणा, जहां फसल विविधिकरण के जरिये भूजल स्तर, मिट्टी की उर्वरता, फसलों का उत्पादन और साथ ही किसानों की आमदनी बढ़ाने की कवायद की जा रही है.
‘मेरा पानी मेरी विरासत’ योजना के तहत आवेदन की प्रक्रिया सिर्फ 31 अगस्त 2022 तक ही खुली है. जो भी लाभार्थी किसान धान की जगह खेतों में कपास, तिलहनी और दलहनी फसलें लगायेंगे, उनके आवदेन का सत्यापन करके बैंक खातों में प्रति एकड़ की दर से 7,000 रुपये अनुदान की राशि सीधा ट्रांसफर कर दी जायेगी.
हरियाणा राज्य सरकार ने धान की जगह दूसरी फसलों की खेती के लिये ‘मेरा पानी- मेरी विरासत’ योजना के तहत ऑनलाइन आवेदन भी मांगे हैं. जो भी किसान इस योजना का लाभ लेकर कम लागत में खेती करना चाहते हैं, वे हरियाणा कृषि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट ‘मेरी फसल मेरा बयौरा पर जाकर आवेदन कर सकते हैं.
किसानों से आवेदन प्राप्त करने के बाद पटवारी और कृषि विकास अधिकारी द्वारा सत्यापन किया जायेगी और लाभार्थियों का चयन करके प्रोत्साहन की राशि किसानों के बैंक खातों में भेज दी जायेगी.