नई दिल्ली । रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग में भारतीयों के फंसे होने की बात भारत सरकार ने मानी है। सरकार ने गुरुवार को कहा कि 20 भारतीय ऐसे हैं, जिन्हें अच्छी नौकरी का वादा करके ले जाया गया था। ये लोग अब भी वहां फंसे हुए हैं और इन्हें वापस लाया जाएगा। इसके लिए प्रयास जारी हैं और रूसी अथॉरिटीज से भी बात हो रही है। विदेश मंत्रालय ने बताया कि रूस में फंसे इन लोगों ने हमसे संपर्क भी साधा है। इन लोगों को अच्छी सैलरी और सुविधाओं का लालच देकर रूस ले जाया गया था और वहां कुछ समय ट्रेनिंग देने के बाद युद्ध के मोर्चे पर तैनात कर दिया गया।
अब ये लोग परेशान हैं और उनके परिवारों ने भी भारत सरकार से उन्हें बचाकर घर लाने की गुहार लगाई है। इससे पहले विदेश मंत्रालय ने 26 फरवरी को कहा था कि कई भारतीय रूसी सेना में शामिल हो गए थे। इन लोगों को वहां से बाहर कराया गया है। अब इन्हें वापस भारत लाने की तैयारी हो रही है। इसके अलावा रूस की सेना और सरकार से भी इस मसले को उठाया गया है कि भारतीयों को जबरन वहां न रखा जाए और उन्हें स्वदेश भेज दिया जाए।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि भारतीय दूतावास ने इन लोगों से संपर्क साधा है। इसके अलावा रूसी प्रशासन से भी बात की गई है ताकि जल्दी से जल्दी भारत लाया जा सके। बता दें कि इस मामले को सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी उठाया था। इन पीड़ितों में से कुछ लोगों ने ओवैसी से भी मदद की मांग की थी। एक पीड़ित ने अपने परिवार के लोगों से बात करके बताया था कि उन्हें रूस पहुंचने पर हथियारों की बेसिक ट्रेनिंग दी गई और फिर यूक्रेन के खिलाफ युद्ध के मोर्चे पर भेज दिया गया। वहां उनकी जान को भी खतरा है और हर पल गोलियों का सामना कर रहे हैं।
रूस में फंसे लोग मुख्य तौर पर यूपी, गुजरात और पंजाब जैसे राज्यों के रहने वाले हैं। इनमें से ज्यादातर लोग हाई स्किल वाले नहीं हैं और उन्हें ज्यादा सैलरी का लालच देते हुए वहां ले जाया गया था। अब कमाने के लालच में गए इन लोगों को गोलियों का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा बेहद कठिन स्थिति में ये लोग वहां हैं। उम्मीद की जा रही है कि अब भारतीय दूतावास के इन लोगों के संपर्क में होने से इन्हें जल्दी ही वापस लाया जा सकेगा। भारत सरकार ने रूसी प्रशासन से भी इस पर जल्दी ऐक्शन की मांग की है।