नई दिल्ली : शरीर को स्वस्थ रखने के लिए सभी अंगों तक खून का संचार बेहतर तरीके से होता रहना जरूरी है। पर क्या हो अगर किसी के शरीर में खून की ही कमी हो जाए?
खून की कमी होना आम समस्या है, भारतीय महिलाओं में इसका जोखिम अधिक देखा जाता रहा है। खून की कमी का मतलब हीमोग्लोबिन की कमी से है। हीमोग्लोबिन हमारी लाल रक्त कोशिकाओं में मौजूद एक प्रोटीन है। इसकी कमी से अंगों में ऑक्सीजन का संचार बाधित होने लगता है। हीमोग्लोबिन की लगातार बनी रहने वाली कमी एनीमिया का कारण बनती है, जिसके कई प्रकार के स्वास्थ्य दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर कम होने के कई कारण हो सकते हैं। आहार में पोषक तत्वों की कमी, किसी प्रकार की अंतर्निहित स्वास्थ्य समस्या, महिलाओं में माहवारी के कारण भी इसका जोखिम अधिक देखा जाता है। हीमोग्लोबिन का स्तर लगातार सामान्य से कम बने रहना कई प्रकार की बीमारियों के जोखिम को बढ़ाने वाला हो सकता है। आइए इसके कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में जानते हैं?
पुरुषों और महिलाओं में हीमोग्लोबिन का सामान्य स्तर अलग-अलग होता है। पुरुषों के लिए, सामान्य स्तर 14.0 से 17.5 ग्राम/डीएल के बीच वहीं महिलाओं के लिए सामान्य स्तर 12.3 से 15.3 ग्राम/डीएल के बीच होता है। पुरुषों में हीमोग्लोबिन का स्तर 13 ग्राम/डीएल और महिलाओं में 12 ग्राम/डीएल से कम होना नुकसानदायक माना जाता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, हीमोग्लोबिन का स्तर लगातार सामान्य से कम बने रहना कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। आइए इसके दुष्प्रभावों के बारे में जानते हैं।
शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी के कारण एनीमिया हो सकती है, जिसके कारण अक्सर थकान-कमजोरी और सिरदर्द की दिक्कत बनी रहती है। रात को अच्छी नींद लेने के बाद भी आप थका हुआ और कमजोर महसूस कर सकते हैं। हल्के स्तर की शारीरिक गतिविधि करने पर भी आप कमजोरी का अनुभव कर सकते हैं। एनीमिया के कारण सिरदर्द होते रहना भी सामान्य समस्या है। इस तरह की दिक्कतें कुछ समय से बनी हुई हैं तो समय रहते किसी डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।
हीमोग्लोबिन शरीर के ऊतकों और अंगों तक ऑक्सीजन पहुंचाने और कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ऐसे में शरीर में हीमोग्लोबिन का सामान्य से कम बने रहने के कारण हृदय स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर हो सकता है। हीमोग्लोबिन की कमी के शिकार लोगों को हृदय गति में अनियमितता, धड़कनों के सामान्य से कम या ज्यादा होने की दिक्कत बनी रह सकती है। हृदय गति में अनियमितता पर अगर समय रहते ध्यान न दिया जाए तो इसके कारण कई प्रकार की स्वास्थ्य जटिलताओं का खतरा हो सकता है।
हीमोग्लोबिन की कमी के कारण शरीर के ऊतकों और अंगों तक ऑक्सीजन ठीक तरीके से नहीं पहुंच पाता है। असल में हीमोग्लोबिन का स्तर कम होने के कारण ऑक्सीजन ले जाने की इसकी क्षमता प्रभावित हो जाती है, जिसके कारण हल्की मेहनत करने पर भी सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। कई लोगों को एनीमिया के कारण आराम करने की स्थिति में भी सांस लेने में तकलीफ या सांस फूलने की दिक्कत होती रह सकती है।