नई दिल्ली. आपने कई बार पढ़ा होगा कि वैज्ञानिक चूहे, चमकादड़, कुत्‍ते और बंदर पर एक्सपेरिमेंट करते हैं, लेकिन कभी सुना है कि किसी वैज्ञानिक ने मृत व्‍यक्ति पर ही प्रयोग कर दिए. जी हां, अमेरिका के एक वैज्ञानिक ने आत्‍मा का वजन नापने के लिए प्रयोग करना शुरू कर दिया. जिसमें उनके द्वारा कई मृत लोगों की आत्‍मा का वजन नापा गया. चौंकाने वाली बात यह है कि कई लोगों के वजन में बदलाव भी देखा गया. इससे वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि क्‍या सच में आत्‍मा का अस्तित्‍व होता है या नहीं?

आपने वैज्ञानिकों के कई एक्सपेरिमेंट के बारे में सुना होगा, लेकिन क्‍या आपने सोचा है कोई वैज्ञानिक किसी आत्‍मा का वजन पता लगाने के लिए बेताब हो. अमेरिका के डॉक्‍टर मैकडोगल ने ये कारनामा कर दिखाया. उन्‍होंने 1907 में आत्‍मा का वजन नापने के लिए मृत लोगों पर प्रयोग करें. इस एक्सपेरिमेंट पर काम करने के लिए उन्‍होंने उन लोगों का वजन नापा, जिनकी कुछ ही देर में मृत्यु होने वाली थी, ताकि उनके मरने के बाद ही एक बार फिर से उनका वजन नापा जाए और पता लगाया जाए कि उस दौरान क्‍या वजन कम हुआ है? अगर कम हुआ है तो कितना वजन कम हुआ है? इससे ही वे पता लगा लेते कि आत्‍मा के जाने के बाद मृत व्‍यक्ति के वजन में कितनी कमी आई है. अब आपको बताते हैं कि उन्‍होंने मृत लोगों की बॉडी में क्‍या पाया?

उन्‍होंने पहले पेशेंट के वजन में 21 ग्राम की कमी देखी. वहीं, दूसरे पेशेंट का वजन मरने के कुछ ही देर बाद कम हो गया, लेकिन थोड़ी ही देर बाद उसका वजन फिर से पहले जैसा ही हो गया. दो अन्य पेशेंट्स के वजन में भी थोड़ी कमी देखी गई, लेकिन कुछ देर बाद दोनों का वजन पहले से ज्‍यादा बढ़ गया. जबकि एक पेशेंट की मौत मशीन को सेट करने से पहले ही हो गई.

ऐसे ही आखिरी पेशेंट के वजन में मौत के बाद कोई बदलाव नहीं देखने को मिला, लेकिन एक मिनट के बाद उसका वजन 28 ग्राम कम हो गया. इस प्रयोग से वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि आत्‍मा जैसी कोई चीज नहीं होती.

वैज्ञानिकों ने प्रयोगों के आधार पर बताया कि मरने के बाद शरीर में कई बदलाव होते है. उसी वजह से बॉडी में वजन भी कम ज्‍यादा होता है. जैसे ब्लड क्लॉटिंग, फेफड़ों से आखिरी सांस का बाहर आना, केमिकल रिएक्शन की वजह से गैसों का शरीर छोड़ना. बाद में जब सरकार को इन प्रयोगों के बारे में पता चला तो सरकार ने ऐसे प्रयोगों पर प्रतिबंध लगा दिया.