नई दिल्ली: करवा चौथ एक महत्वपूर्ण हिंदू व्रत परंपरा है जिसे विवाहित महिलाएं अपने पति की भलाई और दीर्घायु के लिए रखती हैं. इस साल यह शुभ दिन 20 अक्टूबर, 2024 को पड़ रहा है और इसे भारत के कई हिस्सों में बड़े पैमाने पर मनाया जा रहा है. करवा चौथ पर, विवाहित महिलाएँ पूरे दिन व्रत रखती हैं जिसमें पानी का सेवन नहीं किया जाता है.
स्वस्थ महिलाओं के लिए भी यह व्रत कठिन माना जाता है. ऐसे मामलों में, गर्भवती महिलाओं को हमेशा पूरे दिन उपवास न करने की सलाह दी जाती है. क्योंकि उन्हें अपने अजन्मे बच्चे के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए और भी कई स्वास्थ्य जटिलताओं का सामना करना पड़ता है. डॉक्टर गर्भावस्था के दौरान खाली पेट रहने की सलाह नहीं देते हैं, लेकिन अगर गर्भवती महिलाएं फिर भी व्रत रखना चाहती हैं, तो यहां कुछ खास बातें बताई गई हैं जिनका ध्यान रखना चाहिए.
गर्भवती महिलाओं को करवाचौथ के व्रत का संकल्प लेने से पूर्व अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य करना चाहिए. इस प्रकार आप यह जान सकती हैं कि यह व्रत आपके और आपके बच्चे के लिए कितना सुरक्षित है. करवा चौथ के व्रत के दौरान पारण के समय तले हुए खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे गैस की समस्या उत्पन्न हो सकती है. व्रत खोलने के समय पहले पानी पीकर फिर हल्का भोजन करना चाहिए.
यदि आप गर्भावस्था के दौरान व्रत करने का निर्णय लेती हैं, तो यह आवश्यक है कि आप पूरे दिन निर्जला व्रत न रखें. ऐसा करने से बच्चे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. भूखे रहने के बजाय, थोड़ी-थोड़ी मात्रा में भोजन करना अधिक उचित होगा, जिससे बच्चे को आवश्यक ऊर्जा मिलती रहे. व्रत के दौरान फलों का सेवन करना सरल है, साथ ही सूखे मेवों का भी सेवन करें. ध्यान रखें कि फलों को नमक के साथ न मिलाएं.
चाय और कॉफी का सेवन करने से बचें, क्योंकि इससे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. आप दूध, स्वास्थ्यवर्धक पेय और नारियल पानी का सेवन कर सकती हैं, जिससे आपके शरीर में ऊर्जा बनी रहेगी और बच्चे को भी पोषण प्राप्त होगा.
इस दिन गर्भवती महिलाओं को मौसमी फलों का सेवन अवश्य करना चाहिए. जूस पीना भी उचित रहेगा. इसके साथ-साथ, समय-समय पर सूखे मेवों का भी सेवन करें. ध्यान रखें कि फल में नमक का प्रयोग न करें.गर्भवती महिलाओं को करवा चौथ के दिन व्रत करते समय विशेष ध्यान रखना चाहिए. उन्हें दिनभर आराम करना आवश्यक है. सुबह सरगी के बाद, उन्हें अधिकतर समय विश्राम में बिताना चाहिए. शाम को पूजा के समय उठकर तैयार होकर पूजा करना चाहिए, जिससे थकान और सुस्ती कम महसूस होगी.
पीरियड्स के समय महिलाओं के लिए पूजा-पाठ करना निषिद्ध होता है. इस अवधि में अपनी सेहत का ध्यान रखते हुए व्रत रखा जा सकता है, लेकिन पूजा-पाठ नहीं किया जा सकता. यदि आप व्रत रखना चाहती हैं, तो आप किसी पूजा पति से इसे करवाने का विकल्प चुन सकती हैं, ताकि आपका व्रत प्रभावित न हो.