नोएडा। इलेक्ट्रॉनिक कंटेंट मैनेजमेंट (ईसीएम) मशीन को री प्रोग्राम कर डुप्लीकेट चाबी से लग्जरी वाहनों की चोरी करने वाले गिरोह का खुलासा हुआ है। कोतवाली सेक्टर-113 पुलिस ने गिरोह के आठवीं पास सरगना करनाल हरियाणा निवासी सोनू समेत प्रमोद, संभल निवासी खलील, मोनू कुमार, लुधियाना निवासी राजेश कक्कड़ और आजमगढ़ निवासी अली शेर उर्फ इमरान को गिरफ्तार किया है।
आरोपियों के पास से सेक्टर-122 से चोरी फॉर्च्यूनर समेत 10 कारें बरामद हुईं हैं। पूछताछ में आरोपियों ने 200 से अधिक वाहनों की चोरी की बात कबूल की है। पुलिस के मुताबिक सोनू इलेक्ट्रॉनिक लॉक को हैक कर डुप्लीकेट चाबी बनाने में एक्सपर्ट है।
डीसीपी रामबदन सिंह ने बताया कि कोतवाली सेक्टर-113 क्षेत्र से कुछ महीने पहले फॉर्च्यूनर चोरी हुई थी। वारदात में शामिल बदमाशों की तस्वीर सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई थी। एसीपी थर्ड शैव्या गोयल के नेतृत्व में बनाई गई टीम ने सोमवार को एफएनजी रोड पर भारत अस्पताल के पास सर्विस रोड से छह बदमाशों को गिरफ्तार कर लिया। गिरोह में हाल ही शामिल प्रमोद को छोड़कर सभी बदमाशों के खिलाफ कई मामले दर्ज हैं।
पूछताछ में पता चला है कि गिरोह ने 200 से अधिक चार पहिया वाहनों की ऑन डिमांड चोरी की है। आरोपी यूपी के अलावा दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान से लेकर देश के कई राज्यों में चोरी के वाहन बेचते थे। पुलिस को गिरोह के अन्य बदमाशों की तलाश में जुटी है।
एडीसीपी मनीष मिश्र के मुताबिक, बदमाश किसी भी गाड़ी की ईसीएम मशीन को री प्रोग्राम करते थे। इससे नया कोड जेनरेट कर डुप्लीकेट चाबी बना लेते थे। इसके पहले सोनू कार की ड्राइविंग सीट का शीशा तोड़ देता था। ईसीएम के पास की प्रोग्रामिंग पैड ले जाकर इलेक्ट्रॉनिक लॉक हैक करता था। नई इलेक्ट्रॉनिक चाबी तैयार कर पांच से दस मिनट में चोरी कर लेता था। आरोपी गाड़ियों के लॉक तोड़ने और डुप्लीकेट चाबी बनाने के उपकरण भी साथ रखते थे।
गिरोह में शामिल राजेश कक्कड़ चोरी के वाहनों का बड़ा खरीदार था। राजेश लग्जरी कारों 15 से 20 लाख रुपये और सामान्य कारें तीन से सात लाख में बेचता था। बताया जाता है कि राजेश कई गिरोह के संपर्क में था। राजेश ऑन डिमांड भी वाहनों की चोरी करवाता था।
वाहन चोरी करने के बाद कुछ किमी आगे जाते ही सबसे पहले नंबर प्लेट बदल देते थे। इसके बाद किसी मॉल, बाजार या अन्य जगह दो से तीन दिन के लिए पार्क कर देते थे। तब तक गाड़ी के फर्जी कागजात तैयार कर लेते थे। इसके बाद गाड़ी को दूसरे राज्यों में बेच देते थे। चोरी का वाहन लेकर निकलते वक्त गिरोह के बदमाश अलग वाहन से आगे आगे चलते थे। अचानक पुलिस के आने पर कार के खराब होने के बहाना बनाकर गाड़ी के नीचे लेटकर ठीक करने का नाटक करने लगते थे।