नई दिल्ली. हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले अधिकांश लोग अपने घर में तुलसी का पौधा लगाते हैं. साथ ही रोजाना इसमें जल देते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं. घर में हरा-भरा तुलसी का पौधा खुशहाली का प्रतीक माना जाता है. यही कारण है कि लोग तुलसी के पौधे की विशेष देखभाल करते हैं. मगर कई बार नियमित रूप से देखभाल करने के बाद भी तुलसी का पौधा सूख जाता है. तुलसी के पौधे का सूखना शुभ नहीं माना जाता है. सूखा हुआ तुलसी का पौधा दुर्भाग्य का प्रतीक माना जाता है. कहा जाता है कि तुलसी का पौधा सूखने से मां लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं. कहा जाता है कि अगर तुलसी का पौधा लगाते वक्त दिशा का ध्यान रखा जाता है और सावधानियां बरती जाती हैं तो उसे सूखने से बचाया जा सकता है. आइए जानते हैं तुलसी से जुड़े जरूरी नियम.

तुलसी के लिए मिट्टी
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक तुलसी का पौधा सूखने से जीवन में दुर्भाग्य आ सकता है. अगर आप चाहते हैं कि तुलसी का पौधा ना सूखे तो उसके लिए सही मिट्टी का चयन करना बेहद जरूरी है. कहा जाता है कि तुलसी के लिए लाल या रेतीली मिट्टी सबसे अच्छी होती है.

ऐसे रहेगा तुलसी का पौधा हरा-भरा
तुलसी को पौधे को जीवित रखने के लिए उसमें गाय के गोबर की खाद का इस्तेमाल किया जाता है. पौधे में गीला गोबर नहीं डलना चाहिए. गाय के गोबर को सुखाकर पाउडरनुमा बना लें और फिर समय-समय पर तुलसी के पौधे में डालते रहें. ऐसा करने से तुलसी हरी-भरी रहेगी.

इस दिन नहीं तोड़नी चाहिए तुलसी
कुछ घरों में लोग बिना नहाए तुलसी का पत्ता तोड़ते हैं, जिसे सही नहीं माना गया है. कहा जाता है कि बिना स्नान किए तुलसी का पौधा कभी नहीं तोड़ना चाहिए. साथ ही एकादशी और अमावस्या के दिन तुलसी नहीं तोड़नी चाहिए. एकादशी के दिन भगवान को तुलसी चढ़ाने के लिए एक दिन पहले की तोड़ लिया जाता है.

तुलसी में जल देते वक्त रखें ध्यान
मान्यता है कि गुरुवार को तुलसी के पौधे को कच्चे दूध से सींचना चाहिए. कहा जाता है कि ऐसा करने से तुलसी में अधिक देर तक नमी बनी रहती है. साथ ही वह हमेशा हरा-भरा नजर आता है. धार्मिक मान्यता के मुताबिक रविवार को तुलसी में जल नहीं देना चाहिए. बरसात के मौसम में तुलसी में पानी नहीं देना चाहिए. क्योंकि इससे उसकी जड़ को खतरा रहता है.

मंजरी हटाते रहें
ऐसा कहा गया है कि तुलसी के पौधे में जब मंजरी आना शुरू हो जाए तो समझ लेना चाहिए कि पौधे के ऊपर बोझ बढ़ रहा है. ऐसे में तुलसी की मंजरी तोड़ते रहना चाहिए. साथ ही उसे किसी गुरुवार के दिन भगवान विष्णु के चरणों में अर्पित कर देना चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है.