नई दिल्ली. सनातन धर्म में अमावस्या तिथि पितरों के तर्पण के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है. आषाढ़ की अमावस्या 28 और 29 जून को है. आषाढ़ महीने की अमावस्या पर पूजा-पाठ, श्राद्ध, तीर्थ या किसी पवित्र नदी के जल से नहाना चाहिए. आषाढ़ अमावस्या को हलहारिणी अमावस्या भी कहा जाता है. इस दिन कृषि यंत्रों की भी पूजा की जाती है. आषाढ़ अमावस्या से बारिश की शुरुआत हो जाती. किसान इस दिन से फसलों की बुवाई की शुरुआत करते हैं और हरी भरी फसल की कामना करते हैं.
आषाढ़ अमावस्या तिथि आरंभ: 28 जून 2022, सुबह 05:53 मिनट से
आषाढ़ अमावस्या तिथि समापन: 29 जून 2022, सुबह 08:23 मिनट तक
अमावस्या तिथि 28 जून मंगलवार को सूर्योदय से पहले ही शुरू हो जाएगी और अगले दिन सूर्योदय के बाद 8 बजकर 23 मिनट तक रहेगी.
अमावस्या तिथि पितृदोष और कालसर्प दोष को दूर करने के लिए काफी शुभ मानी जाती है. पितरों की शांति के साथ जीवन में खुशहाली के लिए आषाढ़ अमावस्या पर स्नान के साथ दान का भी बहुत महत्व है. इस दिन किसी जरूरतमंदों को कपड़े, अन्न, तिल, तेल, चावल, चद्दर, छाता, चना दान करने से कई गुना फल मिलता है. मान्यता है कि अमावस्या पर किया दान पुण्य हजारों गायों के दान के समान होता है. इस बार आषाढ़ अमावस्या मंगलवार को है. लिहाजा इस दिन मंगल दोष के प्रभाव को कम करने के लिए गुड़ या शहद का दान करना शुभ होगा. इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा का विधान है.