चैत्र नवरात्रि आने में बस कुछ ही दिन शेष हैं। चैत्र नवरात्रि में 9 दिनों तक देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा आराधना की जाती है। चैत्र प्रतिपदा तिथि पर घटस्थापना की जाती है और अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन के बाद व्रत का पारण किया जाता है। मां दुर्गा के भक्त चैत्र नवरात्रि के 9 दिनों तक उपवास रखते हुए पूजा और साधना करते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार साल भर में कुल मिलाकर 4 नवरात्रि आती हैं जिसमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। इस बार चैत्र नवरात्रि का त्योहार 22 मार्च 2023 से शुरु होगी और 30 मार्च तक रहेगी। इस दौरान कई भक्त कठोर व्रत भी रखते हैं। ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान पूजा करने और व्रत रखने से मां दुर्गा हर कष्ट को हर लेती हैं साथ ही सुख-समृद्धि, धन-ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि क्व प्रथम दिन कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।
चैत्र नवरात्रि तिथि
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि आरंभ: 21 मार्च, रात्रि 10: 52 मिनट से
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि समाप्त: सायं 08:20 मिनट पर
उदया तिथि के अनुसार इस साल चैत्र नवरात्रि 22 मार्च 2023 से शुरू होगी।
कलश स्थापना शुभ मुहूर्त
22 मार्च 2023: प्रातः 06: 23 मिनट से 07: 32 मिनट तक
चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
तदोपरांत मंदिर की साफ-सफाई करके गंगाजल छिड़कें।
अब लाल कपड़ा बिछाकर उसपर अक्षत(चावल) रखें।
अब मिट्टी के पात्र में जौ बो दें और इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें।
अब कलश के मुख पर अशोक के पत्ते लगाएं और स्वास्तिक बनाएं।
अब इसमें साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालें।
इसके उपरांत एक नारियल पर चुनरी लपेटकर कलावा बांधें।
अब इस कलश के ऊपर नारियल स्थापित करके देवि दुर्गा का आह्वान करें।
कलश के लिए सोना, चांदी, तांबा, पीतल के धातु के अलावा मिट्टी का घड़ा शुभ माना गया है।
कलश स्थापना के लिए जरूरी पूजन सामग्री
1-मिट्टी का कलश
2-मिट्टी
3-सात प्रकार के अनाज
4-गंगाजल
5-कलावा
6-सुपारी
7-आम या अशोक के पत्ते
8-अक्षत
9-जटा वाला नारियल
10- लाल कपड़ा
11-फूल और फूल माला
12- फल और मिठाई
13- जौ