नई दिल्ली। सनातन धर्म में विवाह को पवित्र कर्मकांड माना गया है। इसमें दो आत्माओं का मिलन होता है। आसान शब्दों में कहें तो विवाह पश्चात वर और वधु संपूर्ण होते हैं। इससे पूर्व दोनों में कोई न कोई अपूर्णता अवश्य रहती है। इसके लिए शादी पर उत्सव जैसा माहौल रहता है। दोनों पक्षों के लोग पूर्व से तैयारी करते हैं। सनातन रीति रिवाजों का पालन कर वर और वधु परिणय सूत्र में बंधते हैं। इस मौके पर उपस्थित लोग वर और वधु को आशीर्वाद देते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि शादी में क्यों दुलहन लाल जोड़ा ही पहनती हैं ? आइए, इसके बारे में विस्तार से जानते हैं-

सनातन धर्म में लाल रंग का विशेष महत्व है। लाल रंग ऊर्जा, साहस, त्याग, तपस्या, उत्साह, उमंग, सौभाग्य का प्रतीक होता है। दुल्हन भी शादी के बाद सोलह श्रृंगार करती हैं। इसमें लाल रंग का इस्तेमाल करती हैं। ज्योतिष शास्त्र की मानें तो धार्मिक अनुष्ठान के समय लाल, गुलाबी या पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ होता है। लाल रंग सकारात्मक शक्ति का प्रतीक होता है। जब शादी में दुल्हन लाल रंग का जोड़ा पहनती हैं, तो सकारात्मक शक्ति का संचार घर में होता है। जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा को लाल रंग अति प्रिय है। दुल्हन द्वारा लाल रंग का जोड़ा पहनकर धार्मिक कार्य करने से मां प्रसन्न होती हैं। इससे मां दुर्गा की कृपा दृष्टि दुलहन और दूल्हे पर पड़ती है। इसके लिए दुल्हन शादी पर लाल जोड़ा पहनती हैं।

ज्योतिष शास्त्र के जानकारों की मानें तो शुभ कार्य जैसे शादी, विवाह, पूजा समेत मांगलिक कार्य में काले, नीले और भूरे रंग के कपड़े न पहनें। इन रंगों का वस्त्र धारण कर शुभ कार्य करने से फल नहीं प्राप्त होता है।.ये रंग नकारात्मक शक्तियों को आकर्षित करते हैं। इससे शुभ कार्य में सिद्धि भी प्राप्त नहीं होती है। इसके लिए मांगलिक कार्यों में इन रंगों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।