सुल्तानपुर लोधी (कपूरथला) : सुल्तानपुर लोधी के गांव तरफ बहबल बहादर का गुरप्रीत सिंह अमेरिका से डिपोर्ट होकर आया। उसके घर में पिता तरसेम सिंह का बेटे के डिपोर्ट होने की सूचना मिलने के बाद से रो-रोकर बुरा हाल था।
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप 2.0 युग की शुरूआत के साथ जहां हर दुनिया भर में तहलका मचा हुआ, वहीं पहली बार अवैध अमेरिका पहुंचने वालों को खदेड़ने के लिए डिपोर्ट किए गए पहले भारतीय की सूची में शामिल सुल्तानपुर लोधी के गांव तरफ बहबल बहादुर निवासी गुरप्रीत सिंह भी शामिल है।
बुधवार दोपहर करीब दो बजे यूएस मिलिट्री का सी-17 विमान इन भारतीयों को लेकर अमृतसर के श्री गुरु रामदास अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर उतरा। इस अमेरिकी विमान ने 4 फरवरी की सुबह तीन बजे अमेरिका से उड़ान भरी थी।
ऐसा पहली बार हो रहा है कि अमेरिका में अवैध प्रवासियों को भेजने के लिए मिलिट्री विमान का इस्तेमाल किया गया हो। सुल्तानपुर लोधी के गांव तरफ बहबल बहादर का गुरप्रीत सिंह अमेरिका से डिपोर्ट होकर आया।
उसके घर में पिता तरसेम सिंह का बेटे के डिपोर्ट होने की सूचना मिलने के बाद से रो-रोकर बुरा हाल था। दिहाड़ीदार तरसेम सिंह व उसके चाचा महिंदर सिंह ने बताया कि उसे मीडिया के जरिये पता चला कि उसका बेटा भारत भेजा जा रहा है।
आंसू भरी आंखों से महिंदर सिंह ने बताया कि उसने बेटे को छह महीने पहले विदेश भेजने के लिए 42 लाख रुपये खर्च किए थे। 22 दिन पहले ही वह अमेरिका के बेस कैंप में पहुंचा था।
उसे विदेश भेजने के लिए उसे घर तक गिरवी रख दिया और इतनी मोटी रकम इकठ्ठी करने के लिए हाथ-पांव जोड़कर जहां कुछ रिश्तेदारों से रुपये उधार लिए थे, वहीं कर्ज भी उठाया था, लेकिन अब सब कुछ तबाह हो गया है। अब उसे सिर्फ केंद्र व पंजाब सरकार से उम्मीद है कि उसके बेटे को पंजाब में ही कोई रोजगार की व्यवस्था करवा कर दे, जिससे वह अपने सिर से कर्ज के बोझ को उतार सके।
अमेरिका से डिपोर्ट दो लोगटांडा इलाके से हैं। इनमें से एक तो करीब एक माह पहले ही अमेरिका पहुंचा था, जबकि दूसरा आठ माह पहले इटली गया था और वहां से अमेरिका कैसे पहुंचा, इसकी फिलहाल जानकारी नहीं।
परिवार के मुताबिक, गांव टाहली का हरविंदर सिंह पिछले महीने अवैध रूप से सीमा पार कर अमेरिका में घुसा था और पकड़े जाने के बाद से ही वहां के एक डिटेंशन कैंप में था। हरविंदर की पत्नी कुलजिंदर कौर ने बताया कि 42 लाख रुपये लेने के बावजूद एजेंट ने धोखे से डॉन्की के जरिये अमेरिका भेजा दिया।
उसके पति ने 15 जनवरी को यह जानकारी दी थी। इसके बाद उससे कोई संपर्क नहीं हो पाया और आज उन्हें उसके स्वदेश लौटने की सूचना मिली। वहीं, सुखपाल आठ महीने पहले वर्क परमिट पर इटली गया था और बाद में अमेरिका में प्रवेश करते समय पकड़ा गया था। उसके पिता ने कहा कि उन्हें सुखपाल के अमेरिका से डिपोर्ट की आधिकारिक जानकारी नहीं है, बल्कि मीडिया रिपोर्ट के माध्यम से ही उन्हें जानकारी मिली है।
अमेरिका से वापस भेजे गए पंजाब के लोगों के परिजनों ने कहा कि उन्होंने परिवार के उज्ज्वल भविष्य की उम्मीद में अपने सदस्य की अमेरिका यात्रा के लिए भारी कर्ज लिया था। लेकिन अब उनके सभी सपने चूर चूर हो गए। साथ ही सिर पर इस कर्ज का पहाड़ टूटा है जिससे मुक्त हो पाना असंभव है। पीड़ित परिवारों ने आरोप लगाया कि ट्रैवल एजेंटों ने उनकी जानकारी के बिना युवाओं की अमेरिका यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए अनुचित तरीके अपनाए।
उन्होंने ऐसे एजेंटों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। वापस लौटे भारतीयों में 30 पंजाब के रहने वाले हैं। इनमें कपूरथला से छह, अमृतसर से पांच, पटियाला और जालंधर से चार-चार, होशियारपुर, लुधियाना, एसबीएस नगर से दो-दो तथा गुरदासपुर, तरनतारन, संगरूर, एसएएस नगर और फतेहगढ़ साहिब से एक-एक व्यक्ति शामिल हैं।