नई दिल्ली। शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। आज इसका दूसरा दिन है। इस दिन मां के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। ब्रह्मचारिणी का अर्थ है, तप का आचरण करने वाली देवी। मां का ब्रह्मचारिणी रूप बेहद शांत, सौम्य और मोहक है। मान्यता है कि मां के इस रूप को पूजने से व्यक्ति को सदाचार जैसे गुणों की प्राप्ति होती है। माता ब्रह्मचारिणी को अनुशासन और दया की देवी भी कहा जाता है।

देवी मां ब्रह्मचारिणी को गुड़हल और कमल का फूल बेहद पसंद है और इसलिए इनकी पूजा के दौरान इन्हीं फूलों को देवी मां के चरणों में अर्पित करें।

मां ब्रह्ममचारिणी को चीनी और मिश्री भी काफी पसंद है इसलिए मां को भोग में चीनी, मिश्री और पंचामृत का भोग लगाएं। मां ब्रह्मचारिणी को दूध और दूध से बने व्यंजन अति प्रिय होते हैं, इसलिए आप उन्हें दूध से बने व्यंजनों का भोग लगा सकते हैं। इस भोग से देवी ब्रह्मचारिणी प्रसन्न हो जाएंगी।

चीनी, शहद, दही, घी और गाय के दूध से बने खाद्य पदार्थों का एक पारंपरिक मिश्रण है। यह आमतौर पर पूजा में प्रसाद के रूप में परोसा जाता है। आम तौर पर, इसे 5 अवयवों के साथ बनाया जाता है क्योंकि पंच का मतलब संस्कृत में पांच होता है।

– पंचामृत बनाने के लिए सबसे पहले चांदी की कटोरी या कोई भी बड़ा बर्तन लें।

– अब इसमें पहले 1 चम्मच चीनी, फिर 1 चम्मच शहद, उसके बाद 1 चम्मच दही और फिर 2 चम्मच घी सबसे बाद में 7-8 टेबलस्पून दूध डालें।

– सारी चीज़ों को अच्छी तरह से मिला लें।

– अब इस तैयार पंचामृत से लगाएं मां ब्रह्मचारिणी सहित दुर्गा के सभी स्वरूपों को भोग।