नई दिल्ली: देश की संसदीय राजनीति में बड़ी हलचल मची है। विपक्ष ने राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर ली है। कांग्रेस द्वारा लाए जाने वाले इस प्रस्ताव की तैयारियों में टीएमसी और सपा ने भी साथ देने का ऐलान कर दिया है। संसद के शीतकालीन सत्र में ही विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव लाने का मन बनाया है। विपक्षी एकजुटता के बाद अविश्वास प्रस्ताव की नोटिस पर कम से कम 70 सांसदों ने अभी तक अपने हस्ताक्षर कर दिए हैं।
सूत्रों की मानें तो कांग्रेस को राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर इंडिया ब्लॉक के अधिकतर दलों का बिना शर्त समर्थन मिल रहा है। काफी दिनों से गठबंधन से दूर रहीं ममता बनर्जी की टीएमसी भी साथ आ चुकी है। इसके अलावा समाजवादी पार्टी, अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने भी अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन किया है।
राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष की नाराजगी उनके पक्षपातपूर्ण रवैया से है। विपक्ष का आरोप है कि सभापति सदन में विपक्ष और सत्तापक्ष के सदस्यों के साथ भेदभाव करते हैं। सोमवार को राज्यसभा में जार्ज सोरोस के मुद्दे पर सदन में हंगामा हुआ। विपक्ष उनसे इस मुद्दा को सत्तापक्ष द्वारा उठाए जाने पर आपत्ति दर्ज कराया। विपक्ष ने पूछा कि आखिर किस नियम के तहत सत्तापक्ष को उन्होंने मुद्दो उठाने की इजाजत दी। दिग्विजय सिंह से लेकर राजीव शुक्ला तक ने सभापति पर पक्षपात करने का आरोप लगाया। विपक्ष का कहना था कि इस मुद्दा को उठाने के लिए सभापति सत्ता पक्ष के सांसदों का नाम ले लेकर बोलने के लिए कह रहे थे।
राज्यसभा सभापति को हटाने के लिए प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 50 सदस्यों के हस्ताक्षर आवश्यक हैं। इस हस्ताक्षर वाले प्रस्ताव को सचिवालय भेजा जाता है। इसके बाद कम से कम 14 दिनों पहले की नोटिस के बाद राज्यसभा में बहुमत के आधार पर प्रस्ताव पास कराया जाता है। अगर राज्यसभा में अविश्वास प्रस्ताव बहुमत से पास हो गया तो उसे लोकसभा में भी पास कराया जाएगा। सभापति, देश का उपराष्ट्रपति भी होता है। यह देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद है। शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर तक ही चलना है। ऐसे में अविश्वास प्रस्ताव इस सत्र में आना मुश्किल लग रहा। मानसून सत्र में भी विपक्ष ने अविश्वास का मन बनाया था लेकिन फिर इसे छोड़ दिया था।