नई दिल्ली. पाकिस्तानी सियासत और वहां की क्रिकेट के हालात लगभग एक जैसे ही चल रहे हैं. दोनों का बुरा दौर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा. खराब प्रदर्शन के कारण मुल्क के सियासतदानों को अवाम और क्रिकेट टीम करारी हार के बाद तो यह नाराजगी, अभूतपूर्व गुस्से में बदल चुकी है. शान मसूद ब्रिगेड के तथाकथित सितारा प्लेयर्स को कमजोर प्रदर्शन के लिए जमकर कोसा जा रहा है.
वनडे वर्ल्डकप और टी20 वर्ल्डकप के शर्मनाक प्रदर्शन के बाद अब बांग्लादेश के खिलाफ मिली हार ने फैंस का प्लेयर्स से बचा-खुचा भरोसा भी खत्म कर दिया है. फैंस का कहना है कि पाकिस्तानी हुक्मरानों, पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के अफसरों और खिलाड़ियों ने मुल्क की क्रिकेट को बेड़ा गर्क कर दिया है. हालत यहां तक आ गई कि हमारी टीम को टेस्ट में दुनिया की सबसे कमजोर मानी जाने वाली टीमों में से एक बांग्लादेश के हाथों भी हार की शर्मिंदगी झेलनी पड़ रही है. यही हाल रहे तो हॉकी की तरह क्रिकेट का भी मुल्क से नामोनिशान मिट जाएगा. बता दें, इस सीरीज से पहले हुए 13 टेस्ट में बांग्लादेश टीम कभी भी पाकिस्तान को हरा नहीं पाई थी.
बांग्लादेश के खिलाफ घर में मिली हार के बाद वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनिशप स्टेंडिंग में पाकिस्तान टीम के हाल और बदहाल हो गए हैं. शान मसूद ब्रिगेड को 7 मैचों में केवल दो जीत और 5 हार मिली हैं और वह 9 टीमों में 8वें स्थान पर है. टीम को अगले 7 मैचों में इंग्लैंड (3 टेस्ट), दक्षिण अफ्रीका (दो टेस्ट) और वेस्टइंडीज का सामना करना है, मौजूदा प्रदर्शन को देखते हुए इनसे जीत की उम्मीद की उम्मीद बेमानी है. घरेलू मैदान पर पाकिस्तान टीम पूर्व में अच्छा प्रदर्शन करती रही है लेकिन अब हालत यह है कि अपने मैदान पर टीम पिछले 10 में से एक भी टेस्ट नहीं जीती है. इसके साथ ही टीम को अपने पिछले 5 टेस्ट में लगातार हार का सामना करना पड़ा है. जनवरी 2022 से अब तक पाकिस्तान ने 17 टेस्ट खेले हैं जिसमें से 10 हार मिली है और महज 3 जीत. चार टेस्ट ड्रॉ रहे हैं.
पाकिस्तान टीम को आखिरी बार कोई बड़ी कामयाबी 2022 के टी20 वर्ल्डकप में मिली थी जहां फाइनल में इंग्लैंड से हारकर टीम उपविजेता बनी थी. हालांकि पाकिस्तान के टेस्ट और वनडे के प्रदर्शन में गिरावट का दौर इससे पहले शुरू हो चुका था. हैरानी की बात यह है कि मुल्क के क्रिकेट ढांचे में सुधार और युवा टैलेंट की खोज के बजाय पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को कोच बदलना ही समस्या का समाधान लग रहा है. 2021 से कपड़ों की तरह कोच बदलने का दौर जारी है. कभी किसी विदेशी को कोच बनाया जाता है तो कभी किसी पाकिस्तानी पूर्व प्लेयर को लेकिन इसका नतीजा सिफर ही रहा है. 2019 के बाद से अब तक रेगुलर और अंतरिम तौर पर आधा दर्जन हेड कोच नियुक्त किए जा चुके हैं, ऐसे में अलग-अलग कार्यशैली और रणनीति वाले कोच के साथ तालमेल बैठाना भी प्लेयर्स के लिए समस्या है. बताया जाता है कि टी20 वर्ल्डकप के पहले पाकिस्तान टीम के इस फॉर्मेट के कोच गैरी कर्स्टन प्लेयर्स में ‘एका’ न होने की रिपोर्ट भी सौंप चुके हैं. कुछ ऐसी ही हालत का सामना टेस्ट टीम को कोच जेसन गिलेस्पी कर रहे हैं.
पाकिस्तान के क्रिकेटरों की टैलेंट का लोहा दुनियाभर ने माना है लेकिन साथ ही इन्हें घोर अनुशासनहीन भी माना जाता है. पाकिस्तान क्रिकेटरों के बीच तकरार यहां तक कि हाथापाई की खबरें भी मीडिया की सुर्खियां बन चुकी हैं. अंदरखाने खबर यह है कि लगातार हार के बाद अनुशासनहीनता और सीनियर प्लेयर्स के ‘ईगो’ की लड़ाई चरम पर है. वर्ल्डकप 2023 के बाद बाबर आजम को हटाकर शाहीन अफरीदी को टी20 और शान मसूद को टेस्ट टीम का कप्तान बनाया गया. हालत तब और बिगड़े जब न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज में मिली हार के बाद शाहीन को हटाकर बाबर को फिर वनडे/टी20 की कप्तानी सौंप दी गई. इसके बाद शाहीन और बाबर के रिश्ते तल्ख हो चुके हैं. शाहीन के साथ इस ‘सलूक’ पर उनके ससुर और पूर्व कप्तान शाहिद अफरीदी भी पीसीबी को कोस चुके हैं. टेस्ट टीम में शाहीन की कप्तान शान से भी पटरी नहीं बैठ रही. चर्चा तो यहां तक है कि बांग्लादेश के खिलाफ पहले टेस्ट के बाद शाहीन और शान के बीच हाथापाई की नौबत भी आई थी और इसी कारण अफरीदी को दूसरे टेस्ट की टीम से बाहर किया गया.
पाकिस्तान के क्रिकेट ढांचे के चरमराने को भी खराब प्रदर्शन की वजह माना जा रहा है. क्लब क्रिकेट लगभग खत्म होने से नए टैलेंट को आइडेंटिफाई करना मुश्किल हो रहा है. पीसीबी का घरेलू क्रिकेट का ढांचा बेतरतीब है. पांच दिनी क्रिकेट के बजाय टी20 के मुकाबले ज्यादा हो रहे हैं, ऐसे में टेस्ट और वनडे के भरोसेमंद प्लेयर नहीं मिल रहे. प्लेयर्स की फिटनेस भी बड़ी समस्या है. पाकिस्तान टीम इस समय फील्डिंग और कैचिग के मामले में सबसे खराब टीमों में शुमार है. कुछ पूर्व क्रिकेटर भी कह चुके हैं कि ज्यादातर मौजूदा प्लेयर्स वर्कआउट में रेगुलर नहीं हैं और फैटी फूड-बिरयानी का मोह नहीं छोड़ रहे. खराब फिटनेस और इंजुरी के कारण तेज गेंदबाजों की गति कम हो रही है. शाहीन इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं जो एक समय 140 KM/H से अधिक की गति से गेंद फेंकते थे लेकिन अब 135 KM/H तक सीमित रह गए हैं. हारिस रऊफ की गेंदों की गति जबर्दस्त है लेकिन वे टेस्ट खेलने के लिए खुद को अनुपलब्ध बताकर बोर्ड की नाराजगी मोल ले चुके हैं.
पीसीबी के मौजूदा चीफ मोहसिन नकवी हाल ही में स्वीकार कर चुके हैं कि उनके पास प्लेयर्स का पूल नहीं है. पीसीबी ने कभी 40-50 अच्छे क्रिकेटर्स का पूल बनाने पर ध्यान ही नहीं दिया. ऐसे में खराब प्रदर्शन करने वाले दिग्गज प्लेयर्स को रिप्लेस करने के लिए पर्याप्त विकल्प नहीं हैं. मौजूदा 16 प्लेयर्स के अलावा, नाम मात्र के 10-12 प्लेयर्स पर निर्भर रहना हमारी मजबूरी है. टेस्ट क्रिकेट के लिए चुने गए युवा प्लेयर्स का उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाना भी एक समस्या है. इनमें पांच दिन क्रिकेट खेलने के लिहाज से टेम्परामेंट नहीं है.ओपनर के तौर पर इमाम उल हक की जगह सईम अयूब को अपनाया गया लेकिन वे अब तक कुछ खास नहीं कर पाए हैं. टेस्ट क्या वनडे और टी20 के लिहाज से भी टीम के पास इस समय अच्छा फिंगर या रिस्ट स्पिनर नहीं हैं. शादाब खान शार्टर फॉर्मेट के क्रिकेट में बॉलिंग में लगातार नाकामी के कारण सिलेक्टर का भरोसा खो चुके हैं. अबरार अहमद भी यासिर शाह के स्तर को नजर नहीं आए हैं. एक समय टीम के पास अब्दुल कादिर, मुश्ताक अहमद, सकलैन मुश्ताक और सईद अजमल जैसे बेहतरीन स्पिनर थे लेकिन कोई मौजूदा स्पिनर प्रभाव नहीं छोड़ पा रहा.