नई दिल्ली। सनातन धर्म में तुलसी के पौधे को बहुत महत्‍वपूर्ण स्‍थान दिया गया है. तुलसी का पौधा आसपास के माहौल में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है. हिंदू धर्म में तुलसी को मां लक्ष्मी का रूप माना गया है. इसलिए तुलसी की विधि-विधान से और नियमानुसार पूजा करना जीवन में अपार सुख-समृद्धि और सफलता देता है. धर्म-शास्‍त्रों में तुलसी की पूजा को लेकर कुछ नियम बताए गए हैं. इन नियमों का पालन करने से ही तुलसी पूजा का पूरा फल मिलता है.

तुलसी पूजा के जरूरी नियम
धर्म, ज्‍योतिष और वास्तु शास्‍त्र में तुलसी के पौधे की पूजा करने के कई नियम बताए गए हैं. इसमें तुलसी के पौधे को सही दिशा में रखने से लेकर उसके रखरखाव, तुलसी के पत्‍तों के तोड़ने, तुलसी की मंजरी के उपयोग आदि सभी नियम शामिल हैं. इसके अलावा तुलसी के पौधे की सही तरीके से पूजा करने, जल चढ़ाने के नियम भी बताए गए हैं. आइए जानते हैं तुलसी में जल देने और पूजा करने के कुछ जरूरी नियम –

तुलसी में जल देने के नियम
– कभी भी बिना नहाए तुलसी को ना छुएं और ना ही जल दें. बेहतर होगा कि सुबह स्‍नान करके बिना कुछ खाए बिना सिला हुआ एक वस्‍त्र पहनकर तुलसी में जल चढ़ाएं.

– रविवार और एकादशी के दिन तुलसी में जल अर्पित न करें. इन दिनों में माता तुलसी भगवान विष्णु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं.

– शाम के समय तुलसी में जल ना दें. बल्कि इस समय दीपक जलाएं.

तुलसी में जल अर्पित करते समय बोलें ये एक मंत्र
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि तुलसी के पौधे को जल अर्पित करते समय एक विशेष मंत्र बोला जाए, तो 1000 गुना ज्‍यादा फल मिलता है. जीवन में सुख-समृद्धि तेजी से बढ़ती है. जीवन में संकट-समस्‍याएं खत्‍म होती हैं. ये मंत्र है-
महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी
आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते।।