मेरठ. वैश्विक बाजार की जरूरत के मुताबिक आभूषण और रत्न उद्योग को नई पहचान देने के लिए मेरठ में विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) बनाया जाएगा। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय मेरठ में एसईजेड का बुनियादी ढांचा पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर विकसित करेगा। इसके लिए यूनाइटेड ज्वेलर्स एंड मेन्युफेक्चरर्स फेडरेशन ने काउंसिल फॉर इंडस्ट्रियल रिसर्च एंड डेवलपमेंट के साथ सलाहकार के रूप में समझौता किया है। परतापुर में करीब 24 एकड़ जमीन की तलाश हो रही है।
एसईजेड इकाइयों को सोने पर शून्य आयात शुल्क का लाभ मिलता है, इसलिए वे सोने के आभूषणों के निर्यात में अभूतपूर्व वृद्धि करने में सक्षम हैं। संयुक्त अरब अमीरात, लैटिन अमेरिका, रूस, कनाडा आदि में सोने के आभूषणों की मांग अधिक है। मेरठ में सोने के सादे आभूषण, हीरे जड़ित आभूषण, रत्न जड़ित आभूषण, और चांदी के आभूषण बड़े पैमाने पर बनते हैं।
शहर में 6 हजार से ज्यादा सराफा कारोबारी और 60 हजार से ज्यादा कारीगर हैं। यहां के हस्त निर्मित उत्कृष्ट आभूषणों की दुनियाभर में बड़ी मांग है। एसईजेड बनने के बाद यहां सराफा कारोबारियों को मुंबई, सूरत और जयपुर की तर्ज पर सुविधाएं मिलेंगी। इससे घरेलू रत्न और आभूषण निर्माताओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बाजार भी मिलेगा।
एसईजेड एक विशेष सीमांकित क्षेत्र या एक भौगोलिक क्षेत्र है जिसे एक शुल्क मुक्त एंक्लेव माना जाता है। इसमें देश के बाकी हिस्सों की तुलना में अलग कानून हैं। एसईजेड अपने बुनियादी ढांचे के फायदे के कारण घरेलू कंपनियों को आकर्षित करता है। एसईजेड केंद्र और राज्य सरकारों के सहयोग से स्थापित किए जाते हैं।
मिलेंगी ये सुविधाएं
- उद्यमियों को मुफ्त बिजली, पानी और जमीन पर सब्सिडी मिलेगी।
- माल या सेवाओं की बिक्री या खरीद पर बिक्री कर और सेवा कर के भुगतान से छूट होगी।
- नियोक्ता के अनुकूल श्रम कानून लागू होंगे। नियोक्ता को छह सप्ताह की पूर्व सूचना बिना हड़ताल भी नहीं होगी।
- परीक्षण एवं प्रमाणन प्रयोगशाला एवं हॉलमार्किंग सुविधा मिलेगी।
- आभूषण डिजाइनिंग, निर्माण प्रौद्योगिकी, रत्न विज्ञान, प्रदर्शनी व सम्मेलन हॉल होगा।
सोना, चांदी, रत्न, आभूषण और आर्टिफीशियल आभूषणों के लिए लाइव डिजाइनिंग के साथ नमूनाकरण की सुविधा होगी। अंतरराष्ट्रीय डिजाइनरों के साथ स्थानीय कारीगर कार्य करेंगे। एसईजेड में 200 से 250 इकाइयां होगी। – आशुतोष, ज्वाइंट डायरेक्टर, संयुक्त लघु उद्योग क्लस्टर्स विकास समिति
एसईजेड का निर्माण के लिए 25 एकड़ भूमि की मांग की गई है। केंद्र सरकार, राज्य सरकार और एसपीवी (स्पेशल पर्पज व्हीकल) के द्वारा पीपीपी मॉडल के रूप में विस्तार किया जाएगा। पश्चिम उत्तर प्रदेश में सामान्य रूप से तीसरा निर्यात क्षेत्र होगा। – डॉ. संजीव अग्रवाल, अध्यक्ष, यूनाइटेड ज्वेलर्स एंड मेन्युफेक्चरर्स फेडरेशन
शहर में आभूषण शिल्प कौशल की समृद्ध परंपरा है। एसईजेड विकसित करने के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा है। हस्तशिल्प कारीगरों को भी इसका बड़ा लाभ मिलेगा।