चंदक/बिजनौर। दुर्लभ प्रजाति के कछुओं की तस्करी करने के लिए आरोपियों ने गंगा खादर में तीन दिन से डेरा जमा रखा था। गंगा से कछुओं को पकड़कर दिल्ली में आपूर्ति की जानी थी, लेकिन इससे पहले ही तस्करों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पकड़े गए दोनों आरोपियों का चालान कर कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।
सोमवार को मंडावर पुलिस ने आरोपी मोनू पुत्र पालो बंगाली और सुंदरपाल पुत्र राकेश बंगाली निवासीगण गांव नावला थाना मंसूरपुर मुजफ्फरनगर का चालान कर दिया। इन दोनों आरोपियों को रविवार की शाम दुर्लभ प्रजाति के कछुओं की तस्करी करते हुए पकड़ा गया था। इनके पास से 32 कछुए बरामद हुए। इनके खिलाफ पुलिस के अलावा वन विभाग ने भी विभागीय एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। पकड़ में आए तस्करों ने पुलिस को बताया है कि ये कछुओं को मुजफ्फरनगर लेकर जा रहे थे, वहां से दिल्ली में किसी डीलर को बेचा जाना था। संरक्षित प्रजाति के इन कछुओं की अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी काफी मांग रहती है। आरोपियों को गिरफ्तार करने वाली टीम में प्रभारी निरीक्षक संजय कुमार, एसआई बिजेंद्र सिंह राठी, वन दरोगा मदनपाल सिंह आदि शामिल रहे।
बताया जा रहा है कि पकड़े गए दोनों आरोपी मंडावर के पास एक बाग में तिरपाल से तंबू बनाकर रह रहे थे। यह बाग गंगा की तरफ जाने वाले रास्ते पर ही है। पकड़े जाने से तीन दिन पहले इस बाग में आकर रहने की बात सामने आई है। अनुमान लगाया गया कि ये आरोपी गंगा से कछुओं को पकड़कर बाग में रख रहे थे। अब कछुओं की संख्या 32 पहुंची तो उन्हें दूसरे ठिकाने पर ले जाने लगे।
गंगा खादर में बालावाली से रावली तक मछलियों का भी खूब शिकार होता है। दिन के उजाले में ही जाल डालकर लोगों को मछलियां पकड़ते हुए देखा जा सकता है। बता दें कि इस क्षेत्र में गंगा खादर का 20 से 25 किमी लंबा इलाका है। जिसमें शिकारियों की नजर रहती है। जलीय जीवों के साथ-साथ लोग इस क्षेत्र में आकर वन्यजीवों का भी शिकार करते हैं। सूत्र बताते हैं कि बाग में कुछ स्थानीय बच्चे खेलने पहुंच गए थे। उन्होंने वहां काफी कछुए देखे, बच्चों ने यह दूसरे लोगों को बताया। जिसके बाद वन विभाग और पुलिस को भनक लगी। जिसके बाद से ही पुलिस ने इन्हें पकड़ने के लिए जाल बिछा दिया।